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सूत्र
अर्थ
अनवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
समद्धेतिय ॥ १ ॥ इंदमुद्धाभिसितेय, सोमणस धर्णजएय बोधव्त्रा; आत्थसिद्धे अभिजाते, अच्चासणेय, सतंजए, अग्गित्रेसे, उवसोमेय, दिवसेणं णामत्रिजाति ॥ १ ॥ ता कहते रातिओ आहितेति वदेज्जा ? ता एगमेगस्सणं पक्खरस पण्णरस्स राई पण्णत्ता तजहा पडिवएराई, जाव पण्णरसी राई ॥ ता एतेसिणं पण्णरसहं राई परस नामधिजा पण्णत्ता तंजहा- उत्तमाय, सुनक्वत्ताय, एलाबच्ची, जसोधरा, सोमणसा चैव तहा; सिरिसंभूताय बोधव्या ॥ १ ॥ विजयाय विजयंति, जयंति अपराजियाय, इत्थि समाहारा चैत्र, तेया तहा अतितेया, देवाणंदा, णिरति, ( पंचदशी (पूर्णिमा ) इन पन्नरह दिन के पन्नाह नाम कहे हैं तथा १ पूर्वग २ सिद्ध मनोरम, ३ मनोहर ४ यशोभद्र, ५ यशोधर, ६ सर्वकाम ७ इंद्रमूर्धाभिषेक ८ सोमनस ९ धनजय १० अर्थसिद्ध ११ अभिजित १२ अत्यन १३ सतंजयं १४ अग्निवेश और १५ उपशम नाम. ये पनरह दिन' के नाम कहे. ॥ १ ॥ अहो भगवन् ! रात्रि के क्या नाम कहे ? अहो शिष्य ! एक २ पक्ष की पनरह रात्रि कही है। तद्यथा पडवा यावत् पनथी. इन पनरह रात्रि के पन्नरह नाम कहे हैं तद्यथा १ उत्तमा २ सुनक्षत्रा ३ एलावची ४ यशोधरा ५ सोमनी ६ श्रीभूता ७ विजया ८ विजयंती ९ जयति १० अपराजिता ११ इत्थ {१२ समाधीरा १३ तेजा १४ अति तेजा और १५ देवानंदा ये पनरह अनुक्रम से रात्रिं के नाम कहे
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बकाशक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी ●
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