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मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
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सत्तमे चंदमंडले, अट्ठमे चंदमंडले, दसमे चंदमंडले, एगारसमे चंदमंडले. पणरस. मे चंदमंडले. ॥ तत्थ जेते चदमंडले जेणं सया णखत्तेहिं विरहिया, तेणं सत्त तंजहा बीए चंदमंडले, चउथे चंडमंडल पच, नबमे, बारसमे, तेरसमे, चउदसमे चंदमंडले ॥ तत्थणं जेते चंदमंडला जेणं रावि ससी नणखत्ताणं सामणा भवति तेणं चत्तारि तंजहा-पढ़मे चदमडले, बीए चंद मंडले. एक्कारसमे चंदमंडले पण्णरसमे चंद मंडले । उत्तर चरपति • योजन ११ भाग ६१ये और ४ भाग मा तियों नीकलता है और चंद्रमा के दूसरे मंडल के उत्तर चरमांत से सूर्य के चदहवे मंडल का उत्तर चरमात उतना ही अंदर उत्तर नरफ है. .
और • योजन ३६ भाग ६१ या ३ भाग सतिया मूर्य के चपदहवे मंडल पर चंद्रमा काम दूसरा मंडल मीत्रित हैं और दक्षिण तरफ चंद्रमा की दरा मंडल योगत ११ मा ६१ ये ४ भाग सातये का नीकलता है क्योंकि चंद्रमा भूर्य मंडल ४८ भाग ६१ क स ११ भाग ६१ ये
और ४ भाग मानिय वाद करते ३६ भाग ६१२३ भाग माति य का मिश्रित होवे, और चंद्र मंडली ५६ भाग ६१ या का है इा स २३ भाग ६१ ये ३ भाग सातिये बाद करते १२ भाग ६१ ये व चार भाग सातिये का चंद्रना का दूपरा मंडल दक्षिण तरफ पाहिर निकलता हुवा है। और सूर्य का पन्नाइवे मंडल के उत्तर चरमांत में १ योजन ४१ भाग ६१ ये व ३ भाग का अंतर है।
.प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदव सहायजी ज्वालाप्रसादजे.
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