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________________ सप्तदश चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र षष्ट-उजाग 4 असाहाय अमावासाए केला कलं. माणियचं॥ सेमागं बलोवकलंण त्थि जाव असाढी अमावासं कुलेज वा जुला उर लेग वा जुत्ता कलाबकलेज वा जुत्ता, असाढी अ मावासं जुत्तातिं बताया गया ॥ इति दसमम्म छ पहुई स तं ॥१०॥६॥ + में कुलोपकुल नक्षत्र की हैं. यावल दाहाः भाद्रपद की गापामा रोट पास की अमावास्या पर्यंत कहना. आपा माघी अमावास्या कुड युक्त उपकुल यक्ष व कुलकुल यक्त है. इस तरह बारह मास की अमावास्या रुज, उपलबकुवोकल नक्षत्र का यंत्र जानना यह दशवा पाहुडे का छठा अंतर पहुडा पूर्ण हुआ. ॥ १० ॥ ६ ॥ कल उपकल व कले एकल नक्ष का यंत्र. नं० मा कुल उपकल को पकल त० भाम कुल उपकुल कुलोपकुल १श्रावण वदमा अलपा महा वद ३० धनिष्ठा श्रवण अभिाजित २ भाद्रपदवद३०० फापर्वा फा “फ.मुलवद३० उत्तरा मा. पूर्वाभाद्रपद शतभिषा , ३ अश्विन वद३० चित्रा। इस | ९ चैत्र ३० वश्विनी रेवती ४ कार्तिकवद३० विशखा! स्वाति १०श ख व ३० कृत्तिका भरणी मृगशर बद३० मूल ज्येष्टा | अनुराधा ११ ज्येष्ट वद ३० मृगर रोहिणी पौष वद ३० उत्तरापाढा पूर्वाषाढा . १२ अपाढ वद ३० पुष्य पुनवम | अद्र १ दशवा पाहुडे का छठा अंतर पाहुढा * 4980 48 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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