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________________ सूत्र अर्थ 40 सप्तदश चंद्र प्रज्ञप्ति सूत्र पष्ठ उपा दुशलस अमावासाओ पण्णत्ताओं तंजहा-सावट्ठी पोवती जात्र असाढी ॥ ता सावट्ठीणं अमावासा कति णक्खत्ता जोतेति ? ता दोण्णि नक्खत्ता जोतेति तं जहा - असलेसा घ मघायं || एवं एतेणं अभिलाषेणं यच्वं ॥ ता पोट्ठत्रयाणं दोणिण णक्खत्ता जोति संजहा-पुत्राफग्गुणी. उत्तरायफ ग्गुणी आसोइ दो णक्खत्ता तंजहा - हत्थो, चित्ता ॥ कत्तिया दोणक्खत्ता साति, विसाहा ॥ मागसिरि तिष्णि तं जहा अणुराहा, जेट्ठा, मूलाय ॥ पोसि दो णक्खत्ता तंजहा पुग्वासाढा उत्तरासाढा. माहितिष्णि क्खत्ता तंज हा अभिए, सवण घणिट्ठा ॥ फग्गुणी तिष्णि तंजहा सतभिसता, पुव्वाभद्दवयाय उत्तराभद्दवया ॥ चेतीणं दोपिंग तंजहा- रेवति, असणीय ॥ विसाहाहिंदोणि अब बारह अमावास्या का कथन कहते हैं. जन बारह अमावास्या के नाम--१ श्रावण की अमावास्या, १२ भाद्रपद की अनावास्य ३ आश्विन ४ कार्तिक ५ मृगसर ६ पौष महा ८ फल्गुन, ९ चैत्र १० वैशाख, ११ ज्येष्ठ और १२ अप अमावास्या ६ अहो भगवन् ! श्रावण मास की अमावास्या में कितने नक्षत्र योग करे ? अह शिष्य ! नक्षत्र योग करे जिन के नाम-अश्लषा और मघा ऐसे ही २ भाद्रपद की अमावास्या के दो पूर्व लगुती उस फालगुरी, ३ अश्विन मास की अमावास्या के दो नक्षत्र हस्त और चित्र ४ कास्या को दा नक्षत्र स्वाति और विशाखा ५ मृगशर पास की अमावास्या को तं नक्षत्र-अनुराधा, ज्येष्ट, मूल, ६ पौष अमावास्या को दो नक्ष पूर्वाषाडा उत्तराषाढा. राघ तीन नक्षत्र अभिजित, श्रवण व धनिष्ठा, फल्गुनी में तीन नक्षत्र शतभिषा पूर्व Jain Education International For Personal & Private Use Only 48 दशा पाहुडे का छठा अंतर पहुड H+ www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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