________________
करते३ मुहूर्त रहे. यह मृगशर नक्षत्र का मानना. इस मृगशर नक्षत्र के ३ मुर्तगये पाछे'४
भाग के प्रथप समय में युग का १४८ वे दिन का प्रथम मपय प्रारंभ होवे. यह मृगशर नक्षत्र ३० 10 मुहूर्त का है इस में से ३ मुहूर्त बाद करते २६ । मुहूर्त हे. इतना मुहूर्त तक युग के १४८ दे दिन में
मृगशर नक्षत्र पूर्ण होवे. युग के १४८ थे दिन मृगशः शुदी १५ १७ मुहूर्त २६ भाग ६२ ये की है। है और १४७ वे दिन मृगशर नक्षत्र ३ मुहूर्त ३१ भग ६७ थे है. इम से इन दोनों को मिलने से क१२५ युहर्त, • भाग ६२ पे और ६ भाग ६७ ये होवे. नक्षत्र का इतना भाग गये पीछे युग के १४८ थे दिन मृगशर शुदी १५ की तिथि मंपूर्ण होवे. इम तिथे का प्रारंभ कौन से नक्षत्र में हुग सो कहते हैं.
१५ की तिथ २९ मुहूर्न ३२ भाग ६२ ये की है उम्र में से २१-०.६ बाद करने से शेष २१८.२१.९.१ रहे. मृगशर क्षत्र पहिले रोहिणी नक्षत्र ४५ मुहू का है उस में से ८-३१-६१ बाद
करने से ३६-३०-३ र इजा पोहणी नक्षत्र गये पंछे सातवे भाग के प्रथम समय में मृगशर शुदी १५ की तिथि के प्रथन समय का प्रारंभ हुवा. और रोहिणी नक्षत्र ८ मुहा ३१ भाग ६२ ये ६१ भाग ६७ ये पृगशर शुदी १५ की तिथि में चंद्रमा की साथ योग करे. और मृगशर नक्षत्र में १२१ मुहूर्व • भाग ६२ ये ६ भाग ३७ ये मृगशर शुदी १५ को योग करके तिथि संपूर्ण करें :
अधारी मुनि श्री अमोलक काजी
• प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी •
अनुयाः
Jain Education Interational
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org