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अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋशि
*मास की धूवराशि हुई. वैसे ही एक दिन के पुहूर्व ३० हैं इस को ६१ से गुनाकार करने से २०१०
होते हैं. यह एक दिन की धाराशि हुई. अब युग का दिन उस तिथि में कितना होता है उसे निकालने को भी दो धाराशि बचाना. एक १८३० और दूरी १८६.. जिन पर्ष की तिथि पर युग का दिन निकालना होने वह तिथि श्रावण वदी १ कितनी है अर्थात् श्रावण वदी १ से इस निधि तक कितनी तिथि होती हैं. जितनी तिथियों आरे उन पत्र को १८३. में गुणा करना और जो राशि भावे उसे १८६० का भाग देना. इस में जो पूर्ण आंक आये और शेष कुछ रहे तो पूर्णकरें एक बहाना. इतना युगका दिन जानना. यदि बडे नहीं तो एक बढाना नहीं. मोशेष संख्या रह ईईहै वह मुहूर्त के ६२ ये भाग की जानना. दृष्टांत प्रथम संवत्मा के माशर सुदी १० को या का नि कितनामा था, कितने मन में संपूर्ण होवे, कौनमा नक्षत्र था, और कौन से नक्षत्र में पूर्णिमा का प्रारंभ हुव? श्रावण बदी १ प मृगता शुदी १५ तक में १५० तिथी होवे. इन को १८३० से गुणा करने से १२७४५०० की राशि होये. इसको १८६० का भाग देने मे १४७ पूर्ण आये और शेष १.८० की
राशि होवे इस से एक बढाना इम से १४८ वा युग का दिन जानना. और १०८० भाग रहे यह प्रथम
संवत्सर के मृगशर शुदी १५ के ६२ ये भाग की राशि रही. इस को मुहूर्त करने के लिये ६२ का भाग T ,जिस से १७ मुहूर्न और शेष २६ भान.६२ ये रहे. इससे युग के १०८ वे दिन माशर शुदी १५
.प्रकाशक-राजाबदुर लालचस्वमहाला ज्यालाप्रसादज .
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