________________
मुत्ता राई भवति,चउद्दस मुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति सातिरेमा सोलसमहुत्ता राई,तेरस मुहुरो दिवसे, सत्तरस महत्ता राई तेरसमुहसाणंतरे दिवसे सातिरेगा सत्तरस महत्ता राई, ता जयाणं अंबृद्दीवदीचे दाहिणजे जहण्णए दुवालस मुहत्ते दिवसे भवति तयाणं उत्तर जहण्णए बालम महत्ते दिवसे भवति, ता जयाणं उत्तर अहण्णए दुवालस मुहत्ते दिवमे, तयाण जंबुद्दीवेदीव मदरस्स पब्वयस्स पुरथिमेणं पञ्चतिदमेणं उक्कोसिया अट्ठारम महत्ता राई भवति,वा अयाणं जंघदीवदीवे मदरस्स पन्नयस पुररियमेणं जाण्मए दुगल । महुत्ते दिवसे भवति तयणं पचरिथमेणत्रि जहण्णए दुवालस महुरो दिवसे भवति दिन सोलह मुहुर्द की रात्रि, चोदा मन में कम का दिन सोसह मुहर्त से अधिक राषि; तेरह मुई का दिन सत्ताह मुहुर्त की रात्रि, तेरा मुहूर्त में कमका दिन सतरा मुहत से अधिक का रात्रि. एसेही जम्बू द्वीप के दक्षिणा में जब वारसमका दिन होता है तो उसरा में भी बारह मुहूर्त का दिन होता. है और मा उसराव से पारह पुर्न का दिन होता है तब मेरु पर्वतके पूर्व पश्चिम मे उस्कृष्ट अठास मुहुन की राषि होती है, जब जम्बूद्वप में प्रेक पर्व की पूर्व में जवन्य पारह मुहुर्त का दिन होता है। न पश्चिम भी भरह मास दिन होता है और जब पश्रिाम बारह मुह का दिन होता है वा
488-448+ आठरा पाटा 44.44
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org