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________________ पत्र ता अणुवास सयभेव सरिया ॥ .. ॥ ता अणुवास सहस्समेव भूरिया ॥" ॥ या अणुवास सय सहस्स मेव -रिया ॥ १२ ॥ ता अणुपुत्वमेव सूरिया ॥१३॥ ता अणुपुवसतमेव सरिया ॥ १४ ॥ ता अणुपुत्र सहस्स मेव सुरिया ॥ १५ ॥ ता अणुपुब्बसतसहस्समेव मूरिया ॥ १६॥ ता अणुपलिभोरम मेव मरिया ॥ १७ ॥ ता अणुपलिओवम सतमेव मरिया ॥ १८ ॥ अणु पलिओवम सहस्समेव सरिया ॥ १९ ॥ ता अणुपलिओवम सत सहस्समेव सरिया ॥ २० ॥ ता अणुसागरायममेव सरिया ॥ २१ ॥ ता अणुसागर सयमेव मरिया प्रकाशता ५ कितनेक रंग को सूर्य का प्रकाश प्रत्येक मास में अभ्य होता है और अन्य प्रकाशन है सही प्रत्येक ऋतुम ७ प्रत्येक अयन में ८ प्रत्येक संवत्सर में प्रत्येक यग में प्रत्येक वर्ष शता १. प्रत्येक वर्ष मात्र १२ प्रत्येक लक्ष वर्ष१३ प्रत्येकम (सत्तर लाख उपम जार वर्षको एक कोडगुना करने से एक पूर्व होता)प्रत्येक मा पूर्व में १५ प्रत्येक हजार पूर्व में १६ प्रत्येक लाख पूर्व में प्रत्येक पश्योपम में १८ प्रत्येक सो पल्यापम में १९ प्रत्यक हमार पल्योपम में २० प्रत्येक वास प्रल्पोपन में २१ प्रत्येक सागरोपम में १२ प्रत्येक सो सागरोप में २३ प्रत्येक बजार सामरोपण - .48486+ठा पारा MIN पनि 4402 For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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