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तंपरिक्खेवे दोहिं गुणिया दसहि भागे हीरमाणे २ एसणं परिक्खेवे विसेसे आहितेति वदेजातीसेणं सब बाहिरिया वाहा लवण समुदं तेणं तेवष्टुिं जोयण सहस्सातिं दोणिय पणयाले जोयणसते छचदसभागे जोयगस्स परिक्खवेणं तीसेणं परिवखेवेवि. संसं कतो आहितेति वदैजा? ता जणं जंबूद्दीवरस दीवस्स परिखेवे तं परिक्खवं दोहिं गुणिया दसहि मांग हीरमाणे २ एसणं परिक्षेत्र विसेसे आहितेति वदेजा ॥ तीसेणं अंधकार केवतियं आयामेण आहितेति वदेजा? ता अटुत्तरं जोयण सहस्सातिं तिण्णि
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488 सप्तदश चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र पष्ठ उपाङ्ग 488
अर्थ
चक्रनाल क्षेत्र अनमा दश भाग में के तीन भाग प्रकाश करे तब दो भाग अंधकार रहे, यों दोनों सूर्यके मीलाकर दश के छ भाग प्रकाश ४ भाग अंधकार होवे, इस लिय मेरु की परिधि ३१६२३ योजन की है इस को दुगुनी करे तब ६३२४६ होवे, इम को दश का भाग देवे ६३२४. प्राप्त होवे इतना अंधकार क्षत्र जानना. अंधकार की सब से वाहिर की बहा लवण समुद्र के अंत में सठ हजार दो सो पैंतालीस योजन और एक योजन के दश भाग में के छ भाग जितनी है. प्रश्न-किस तरह इतनी बांहा कही? उत्तर- * इस जम्चद्वीप की परिधि को दुगुनी करके दश के भाग से छेदना. जस इस जम्बूद्वीप की पारीधे १३१६२२८ योजन है इसे दुगुनी करने से ६३२४५६ होवे, इसे दश का भाम देने से ६३२४५.६ योजन
चौथा पाहुडा 44gal
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