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________________ सूत्र अर्थ 4 पष्टपांग ज्ञाताधर्मकथा का प्रथम श्रुतस्कन्ध+ अम्मयाओ ? जण तुम्म मर्म एवं वयह इमाओ ते जावा सरिसियाओं जाव समणस्स भगवओ महावीरस्स पव्वइस्सास एवं खलु अम्मयाओ ! मग कामभोगा असुइ, असासमा, बेतासबा, पित्तासवा खेलासवा, सुक्कासवा • सोणिया सवा दुरुस्सासनीसासवा दुरुयभुत्तषुरिसपूय वह पीडषुण्णाओ उच्चार पासवण• खेल - जल-सिंघाणग-चैत-पित्त सुक्क सोणिय सभवा; अधुत्र अणियया असासया सडण पंडण विद्धंसणं धम्मां पच्छा पुरवणं अवस्सविप्पजहणिजा, से केणं अम्मयाओ! जाणइ के पुत्रि गमणाए के पच्छा गर्मणाए, तं इच्छामिण अम्मा ! जीव पव्यइतए ॥ १०१ ॥ तरणं तं महकुमार अम्मापियरी एवं वयासी- इमेए जाया ! - अजय · भगवंत महावीर की प सदीक्षा लेना, यह सत्य हैं; परंतु अहो मातपिता! मनुष्य के काम भोम अनूचि बोले. व अशाश्वत, हैं उनके अंग में से वमन, पित्त, श्लेष्म, शुक्र. रुधिर झरता है, मर्यादा रहित व दुर्गंधी श्वासोश्वास होता है, लघुनीत बडीनीत से परिपूर्ण है, उच्चार प्रस्रवण, श्लेष्म, नाक का मैल, वमन, पित्त, शुक्र,व शोणितका (उत्पत्ति स्थान है, अध्रुव, अनित्य अशाश्वत बसडन पडन व विध्वंस धर्म वाला है, इनको आगे पीछे तो अवश्य छोडना पडेगा और भी अहो मातपिता यह कौन जानता है कि पहिला कौन मरे और पीछे कौन मरे इसलिये भगवंत महावीर स्वामी की पास प्रवजित होने को इच्छा हूं ॥। १०१ ।। तत्र मेघ कुमार को उनके मातपिता Jain Education International For Personal & Private Use Only उत्क्षिप्त (कुमार) का प्रथम अध्ययन www.jainelibrary.org
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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