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________________ AAAAAAAnamne.......... ७८२ ब्रह्मचारीमुनि श्री अमोल ऋषिजी + सीहाससि,एवं काली गभएणं जाब विहि उबदसेत्ता पडिगया ॥ पुटवभव पुन्छ ? वाणारसीए णयरीए, काम महावणे चेइए, अले गाहावई, अलसिरी भारिया, अला दारिया, सेसं जहा कालीए, गवरं धरणस्स अग्गमहिसित्ताए उववाओ, सातिरेग अडपलिओवमं द्विती, सेसं तहेव ॥ एव खलु णिक्खेवओ पढमज्झयणस्स ॥ ३ ॥ १ ॥ एवं कामा सतेरा, सोयामणी, इंदा, घणाविज्जुयावि,सवाओ एयाओ धरणस्स अग्गमहिसीओ,एए छ अझयणा ॥ वेणुदेवस्सवि अविसेसीया भाणियबा,एवं जाव घोसस्सवि, एएचेव अज्झयणा, एचए दाहिगिल्लाणं इंदाणं चउप्पण्णाभज्झयणा भवंति, सव्वाओवि नृत्य बताकर पीली गई. उस के पूर्व भव की पृच्छा की. बनारसी नगरी में काम महाक्न उद्यान में अलं गाथापति, उस की भार्या अलं श्री और कन्या अला. शेष सब काली जैसे कहना. विशेष में घरणन्द्र की भार्यपने उत्पन्न हुई. इस की स्थिति साधिक आधा पल्पोपम की जानना. यह पहिला अध्ययिन का निक्षेपा कहा ॥३॥ ऐसे ही कामा देवी का, सतरा देवी का, सोदामिनी देवी का, इन्द्रा देवी का और घणविद्युत् देवी का यों पांच अध्ययन जानना. यह धरणेन्द्र की अग्रमहिषियों के छ अध्ययन हुवे. ऐसे ही वेणुदेवेन्द्र की अग्रमाडिषियों के छ अध्ययन, ऐसे ही नववे घोषेन्द्र तक सब इन्द्र की २ अग्रमहिषियों के अध्ययन मानना. इस से दक्षिण दिशा के सब इन्द्रों की अग्रमहिषियों के प्रकाशकराजारादुर लाला मुखदेव सहायजी नालाप्रसादी अर्थ अनुशदक + Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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