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________________ +. सयणविहिं २०, अजं २१, पहेलियं २२, मागहियं २३, इत्थियलक्षणं २४, गाहा २५, गीइय २६, सिलोयं २७, हिरण्णजुत्तं २८, सुवणजुत्तिं २९, चुण्णजुत्ति ३०, आभरणविहं ३१, तरुणीपडिकम्मं ३२,पुरिसलक्खणं ३३, हयलक्खगं ३४, गयलक्खणं ३५, गोणलक्खणं३६, कुकडलक्खणं३७, छत्तलक्षणं ३८, दंडलक्खणं ३९, असिलक्खणं ४०, मणिलक्खणं ४१, कांगणिलक्खणं ४२, wwwwwwnnnnnnnnnnnwwwwwwwwwwwwwww पष्टमांग ज्ञाताधर्मकथा का प्रथम श्रुतस्तन्य मिट्टि के संयोग से नविन चीजों बनाने की, १६ अन बनाने की, शोधन करने व पकाने की, १७ पानी में उत्पन्न करना, संस्कार से शुद्ध करना व ऊष्ण करने की, १८ वस्त्र तैयार करना. सीना व पहिनने की विधि, १९ शरीर में तेलादिक का विलेपन करने का विधि, २० शैय्या में शयन करने की विधि, २१. सं । एसी आर्य भाषा बोलने की, २२ प्रहलिका बंधने की,२३पगध देश संबंधि भाषा में गाया बन्धनेकी, १२४ पद्मनी आदि स्त्री के लक्षण जानने की, २५ प्राकृत में गाथा बन्धन की,२६ गीत बनाने की, २७ बत्तोम Fअक्षरवाले श्लोक बनाने की, २८ रूपा चांदी बनाने की, २९ मुवर्ण बनाने की, ३० चूग्ण गुलाल अबीर है बनाने की, ३१ आभूषण घडना, जहना व पहिनने की, ३२ तरुणी का सेवन करने की, ३३ पुरुष के | "लक्षण जानने की, ३४ घोडे के लक्षण जानने की, ३५ हाथी के लक्षण जानने की, ३६ गो, वृषभ, ] मार) का प्रथम अध्ययन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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