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________________ मुनि श्री अमोलक ऋषिजी - करीमु ॥ ७४ ॥ तएणं तं मेहकुमारं अम्मापियरोसाइरेगट्टवासं जातगंचेव गभट्ठमेवासे सोहणंसि तिहिकरणमुहत्तीस कलायरियस्स उवणेइं ॥ ७५॥ तएणं से कलायरिए मेहकुमारं लेहाइयाओ गणित्तप्पहाणाओ सउणरुतपज्जवसाणाओ वावतरिं कलाओ सुत्तओ अत्थओय करणेओय सेहावेइ सिक्खावेइ तं जहालेहं ,, गणियं २, रूवं ३, णटं , गीयं ५, वाइयं ६, सरगयं७, पेक्खरगयं८, समतालं ९. जूयं १०, जणवायं ११, पाढयं १२, अट्ठावयं १३, पोरेकत्तं १४, दगमट्टियं १५, अण्णविही १६, पाणिविहिं १७, वत्थविहिं १८, विलेवणविहिं १९, अर्थव्य य करके सत्कार सन्मान सहित महोत्सव कीया ॥७४॥ जब मेघकुमार आठ वर्ष व नव मास [गर्भ के] का हुवा तब उन के मातपिता शुभतिथि करण व मुहूर्त में कलाचार्य की पास भेजे ॥ ७५ ॥ तब वह कला-3 चार्यने मेघकुमार को लीखने की अठारह लिपि आदि देकर गाणित प्रधान शकुन शास्त्र बगैरह ऋतुतक बहुतर कला पाठ व अर्थ सहित शिवलाइ इन बहोत्तर कला के नाम- लिखने की, २ गिनने की, ३ रूप परावर्त करने की, ४ नाटक की, ५ गायन की, ६ वात्रि बजाने की, ७ स्वर पहिचानने की ८ वार्दित्र गत कला जानने की ९ समान ताल जानने की १० जुए खेलने की ११ पासा हालने 1११२ वाद विवाद करने की १.३ अष्टापद (चौपट) खेलने की १४ नगर रक्षादि कर्तव्य की १५ पानी वा .प्रकावाक-राजाबहादुर लाला सुखदेवमहायजी मालाप्रसादजी. 18 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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