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________________ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी + मंसप्पसंगी चोरप्पसंगी, जूयप्पसंगी, वेसप्पसंगी, परदारप्पसंगी जाएयावि होत्था ॥१०॥ ततेणं रायगिहस्स णयरस्स अदूरसामंते दाहिणपुरच्छिमे दिसिभागे सिंहगुहानाम चोरपल्ली होत्था, विसमगिरि कडगकोडंब संनिविट्ठा वसीकलंग पागार परिक्खित्ता छिण्णसेलग विसमप्पवाय फलिहोवगूढा एगदुवारा अणेगखंडी विदित्त जण णिग्गमप्पवेता अभितर पाणिया सुदुल्लभजल पेरंता सुबहुस्स विकुक्यि बलस्स आगयेस्स दुप्पयससावि होत्था ॥ ११ ॥ तत्थणं सीहगुहाए चोरपल्लीए विजएणामं प्रकाशक-सजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजीज्वालाप्रसादजी साथ गमन करनेवाला व परदारा की साथ गमन करनेवाला हुवा. ॥ १० ॥ उस राजगृह नगर की पास अनि कौनसिंहगुफा नामक चोरपल्ली थी: वह पल्ली विषम पहाड के कडखे में स्थापित की हुई थी. बांश रूपी प्राकार से रक्षा कराई हुई थी. छेदाया हुवा पर्वत मे बनी हुई खाइ रूप परिखा उस की आमपास थी. उम पल्ली को जाने आने का एक ही मार्ग था, लोगों को भग जाने के लिये छोटी अनेक बारियों थी. उस में प्रतीतकारी लोगों जानेका आनेका ही कर सकते थे. उस सिंहगुफा में पानी रहा हुवा था. उस की आसपास लोगों को पानी मिलना दुर्लभ होता था. वहां लोगों की पीछे क्रोधवंत बनकर आता कटा को यह ग्राम बोडना बहुत कठिन था ॥ ११॥ उस सिंहगुफा चोर पल्ली में विजयसेन नामक Jain Education International www.jainelibrary.org For Personal & Private Use Only
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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