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________________ 4. :- षष्टांग ज्ञाताधर्म कथा का प्रथम श्रुनस्कन्ध 12th णाम दारिया होस्था, सुकुमाल पाणिपाया ॥ ५॥ तस्सणं धणस सत्थवाहस्स चिलाए नाम दासचेडे होत्था; अहीण पचेदिय सरीरे, मंसोवचिए बाल कीलावण कमलेयावि होत्था ॥६॥ तएणं से चिलाए दास चेड समाए दारियाए बालग्गाह जाएयाधि होत्था, मुमुमं दारियं कडीए गिहइ बहुहिं दारएहिय दरियाहिय डिभएहिय,डिभियाहिय कुमारोहिय,कुमारीयाहिय साद अमिरममाणे २ विहरति॥७॥ततेणे से चिलाए दासचडे तेसिं बहुणं दारयाणय६ अप्पेगतियाणं खुल्लए अवहरति,एवं वट्टए अंडोलियातो, तिंदूसए पोतुल्लए,साडोल्लए,अप्पेगतियाणं आभरण मल्लालंकारं अवहरति, अप्पेगतिया आउसंति, एवं अवहसति, निन्छोडेति, निभच्छेइ, तजेति, तालेति ॥ नामक कन्या थी. वह सुकोमल हाथ पांव वाली थी. ॥ ५ ॥ उस धन्नासार्थवाह को चिलात नामक दास चेटक या. पांचों इन्द्रियों में परिपूर्ण, मांस से उपचित व छोटे बालकों को क्रीडा कराने में कुशल था.॥६॥ यह चिलात दास चेटक सुसमा पुत्री का पाल मित्र हुवा और उसे अपनी कम्मरपर बैठाकर बहुत बाल कों,बालिकाओं,छोटे बच्चे, बच्चियों, कुमार व कुमारिकाओंकी साथ कीडा करता हुवा विचरता था.॥७॥ वह चिनाब दास चटक उनः बालक बालिकाओं में से कितनेक के कोडा कोडी की चौसें करने लमा,कितनेक के लख के पासे, गेंद, बड़े मेंद, वस्न की पुरालियों, पहिनने की साडियों, और कितनेक के माला अळकर। सुषुमा दारिका का अठारहवा अध्ययन 425 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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