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________________ ष्टानज्ञाताधर्मकथा का प्रथम श्रमस्कप 4 णय, जाव हंसगम्भाणय अन्नेसिंच फासेंदिय पाउग्गाणं दवाणं जाव भरेतिरत्ता संगाडि सागडं जोएइं रत्ताजेणेव गंभीरए पोयट्टाणे तेणेव उवागच्छंति२ चा सगडीसगडं मोएति. पोयवाउहणं सजेति २ चा, तेसि उकिंटाणं सद्द फोरस रस रूव गंधाणं कट्ठस्सय तणस्सय, पाणियस्सय, तंदुलाणय, समियस्मय, गोरसस्सय जाव अभासच बहुणं पोयवाहण पाउग्गाणं दवाणं पोयवहणं भरेति २, त्ता दक्खिणाणुकूलेणं वारण जेणेव कालियदीवे तेणव उवागच्छति २, चा पोयवहणं. लंबति २ ता ताई उक्किट्ठाइं सह फरिस रस · रूव गंधाई एगट्ठियाहिं कालियदीवं उत्तारेति, कालियदीवं उत्तारेत्ता ॥ जहिं जहिं च णं ते. आसा आसायंतिवा सयंतिधा, चिटुंतिवा, विशेष के वस्त्रों, शिलापट्ट सुकोमल यावत् श्वेत वस्त्रो व स्पर्शेन्द्रिय के योग्य अन्य बहुत । द्रव्यों से गांडगाडी भरे. वहां से सब गाडेगाडी जोतकर गंभीर पोत स्थान की पास आये, वहां गाडे छोडकर पोत वाहन मज किया, उस्कृष्ट शब्द, स्पर्श, रस, रूप, गंध, काष्ट, तृण, पानी, तंदुल, आटा, गोरस व अन्य बहुत जहाज में जरूरी वस्तुओं को भरकर दक्षिणानुकूल वायु से कालिक द्वीप की पास आये. वहां नहाज का लंगर डालकर छोटी २ नावाओं से सब वस्तुओं कालिक द्वं.प.में उतारी. और जहां २ । 4 पाकीर्ण जाति के घाटे का सत्तरहवा अध्ययन P Jain Education International www.jainelibrary.org For Personal & Private Use Only
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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