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________________ अनुवादक-पाल ब्रह्मचारीमा । अमोलक ऋषिजी 1 वासुदेव पामोक्खा जाव आगए जाणित्ता हट्ठ तुटे हाए कयवीलकम्मे जहा दुःतराया - जाय जहारिहं आवासे दलयति ॥ ततेणं से वासुदव पाभोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव मयाइ आवामाइं तेणव उपागच्छइ २त्ता तहेव जाव विहरंति ॥ १२६ ॥ ततण मे पडराया हस्थिणाउरं जयरं अणुपाविसति २ त्ता कौटुंबिय पुरिमे सहावेति सहावेत्ता एवं वयासी-तुब्भण देवगणुप्पिया ! विपुलं असणं ४ तहेव जाव उवणेति ततेणं ते वासुदेव पामोक्खा बहवे रायसहस्सा बहाया कथवलिकम्मा तं विपुलं असणं पाण खाइमं साइमं तहेव जाव विहरति ।। १२७ ॥ ततेण से पंडुराया ते पंचपंडवे दोवतिं च देवि पट्टयं दुरुहेति २त्ता सीयापाएहिं कलसेहिं व्हावेति,कल्लाणक २ काति २, वासुदेव प्रमख को आये हुए जानकर पांडराजा हृष्ट तुष्ट हवा. उमने स्नान किया वगैरह सब करके जिस को जो यग्य था वैसे आवास दिये. वामदव प्रमुख सब राजाओं आने २ आवास में गये और वहां पूर्वक विचरने लगे. ॥ १२६ ॥ पांडगजाने हस्तिनापुर नगर में आकर कटुम्बक पुरुषों को बोलाये और कहा कि अहो देवानुप्रिय ! तुम विपल अशनाादे यावत् तैयार करा. वासुदेव प्रमुख सब राजाओंन स्नान ". कोगले किये यावत् अशनादि भोगवत हुए विचरने लगः ॥ १२७ ॥ पांडुराजाने पांच पांडवों व नेपदी को एक पाटपर बैठकर श्वापीत कलनों से स्नान करवाया फोर कल्याणकारी उत्सव करके वासुदेव ।। प्रकाशक-रोजाबहादुर काला मुखदरमहायजी बालासाजी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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