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ततेणं से दारए उम्मु कबालभावे जाव जोवणगमणुपत्ते तव मम भिक्खाभायणे भविस्मइ ततेणं से तेयलि पुत्ते पठमावतीए एयमटुं पडिसुणति २. त्ता, जामवदिसिं पाउ.
भूए तामेवादसिं पडिगए ॥.१३ ॥ ततेणं पउमावती देवी पोटिलाय अमच्ची सममेवगम्भ परिवहात सममेवगन्भं परिवति ॥ १४ ॥ ततेणं सा पउमावती णवण्हं मासाणं जाब पियदसणं सुरूवं दारय पयाया ॥ १५॥ जंच रयणिचणं पउमावतीदेवी । दारयं पयाया तं रयणिचणं पोटिलावि अमच्ची गवण्हणं मालाणं विणिहायमावणं
दारियं पयाया ॥ १५ ॥ ततेणं. सा पउमावती अम्मधाई सद्दावेति २ त्ता एवं प्राप्त होगा तब वह अपना भिक्षा का भाजन (अपना निर्वाह करनेवाला) होगा. तेतलीपुत्र पद्मावती में देवी की इस बात को सुनकर अपने स्थान पीछा गया ॥ १३ ॥ अब पद्मावती. राणी व आमात्य खो पोट्टियां दोनोंने माथ गर्भ धारण किया और साथ है। उस गर्भ को वहन करने लगे ॥ १४ ॥ सवानव मास परिपूर्ण हुए तब पनावती देवी को प्रिय व सुरूप पुत्र का जन्म हुवा ॥ १५ ॥ जिस
रात्रि में पावती देवी को पुत्र का जन्म हुवा उम रात्रि में पोटिला को नव मास परिपूर्ण होकर मृत 17 पुत्री का जन्म हुवा ॥ १५ ॥ जब पद्मावती को पुत्र का जन्म हुना तब उसने अम्माघात्री को पोलाइका
मनुवादक-चालनमचारी मुनि श्री बमोळक ऋषिजी
प्रकशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवमहायजाज्वालाममादजा
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