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AMERIAL
॥ नवम अध्ययनम् ॥ सातिणं भंते ! समजेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स जायज्झयणस्म अयमढे पण्णते, नवमरसणं भंते ! णायज्झयणस्स समजेणं भगवया भहावीरेणं जाव संपत्तेणं के अटे पण्णते ?॥१॥ एवं खलु जंबु | तेणं क लेणं तेणं समएणं चंपा मार्म नगरी होत्या, तीसेणं चंगाए गयरीए कोणिए नामंराया होत्या, तत्थणं चंपाए गयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिम दिसीभाए तत्थणं पुण्णभइनाम चेइए होत्या. ॥ तपणं पाए गयरीए मायंदीनाम सत्थवाह परिवसति, अड्डे ॥ तस्सणं भद्दानाम भारिया होत्था ॥ तीसंग भद्दयाए अत्तया दवे सरन्याह दारया होत्था, तंजहा.
श्री अयण भगवान मावीर स्वामीने इतः सूत्र क रन का उक्त अर्थ कहा अब नवा मध्यरन का क्या अर्थ कहा ॥१॥हो जम्बू! उस कल उस समय चंपा नाम की नगरी थी सपा नगरी में कणिक राजा था. उप चंगा नगरी स बाहिर ईशानकून में पूर्णभद्र नाम का उद्यान था. उस में माकंदिय नाम का एक सर्यवाह रहता था. वा ऋद्धघंन यावत् अपराभून था. उप को, मा नाम की मार्या थी, भद्रा मार्ग से उस सार्थवाह को दो पुत्र हुए थे जिन के नाप-१ जिनरल
जिनरस मिनपाका नवरा मध्ययन 40
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