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________________ नवाद-मालबासबारी पानश्री अमापजा - कुणाला हिवई, अणरत्त कुरुराया, जियमत्त पंचाला हवई ॥ २६ ॥ ततेणं से महबले देवो हैं जेहिं समग्गो उच्च गएमु गहे सु सोमास दिसामु वितिमिरामु सिद्वासु जइन्पु सटणे या हणाणुक लमि भूमिमपिसि भात्यसि पायप्ति निवारसमेइणीइंसि क ल एमइ। कीला सजन एमु अहरत्तकाल समलि अस्मिगाणखत्तेणं जो माणस हमंताणं चउथैम से अटुमेपरखे तस्सगं । गुणस्प च उत्थी र जयतन किमाणाओ बत्तीस माग। मं ढतायाओ अणंतर य चइत्ता इहव जपहीवेदवे भारहे बासे महिलाए रायहाणिए । स देश के राना । पुत्र ४ रुकी कुलदेव रामा । पुत्र ५ प्रदी-शत्रु कुरु दशक २ जा का पुत्र जीन शपांवल देश क राजा का पुत्रम ॥२६॥ श्च त् तीन ज्ञान सहन महावन देव उच्चस्थ न ग्रो पास ह ने पर, पम्प अंक र रनि विशुद्ध देशको ने पर, जयन शकु, सुखकारी .य, सब प्रकार क धान की उपची व लं.कोदित कडा कर हमने कभर त्रिकाल में अश्विनी नक्षत्र ११ यम में हत ऋतु का चतुर्थ म स व अउवा पक्ष अर्थत् फल्गुन शुदा ४ में जयंत विधान से चाकर र राहत इस जम्वृद्धाप के भरत क्षेत्र में मिथिला राज्यधनी में कुंभर ना की प्रभात देवी की कार्ड प्रकशक-गनावहादुर लाल सुखनवमहायजा ज्याला प्रमादजी. For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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