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________________ H atate greRANSIA- सहस्सीणं अनंगसेणं पामोक्खाणं अणेगाणं गाणया साहस्साणे अझसिंच बहूर्ण ईसर तलवर जाय सत्थवाह पभिईणं वेय१गिरि सागरपेरंतस्स दाहिणड्ड भरहस्सय बारावतीए नयरीए आहेबच्चं जाव पालेमाणे विहरइ ॥ ६॥ सस्सणं बारवतीए प्रायरीए थावच्चा णाम गाहावईणी परिवसति अढा जाव अपरिभूया ॥ ७ ॥ तीसणं थावचाय गाहावतिणीए पुत्ते थावच्चापुत्ते णाम सस्थवाहदारए होत्था, सुकुमालपाणिपाए जाव सुरूवे ॥ ८ ॥ ततेणं से थावच्चा गाहावइणी तं दारगं सातिरेगं अट्ठवास सयं जाणित्ता सोहण तिहि करण ण खत्त मुहुत्तंसि महासेन प्रमुख ५६ हजार बळवंत पुरुषों, रुक्मिणी प्रमुख बत्तीस हजार स्त्रियों, अनंगसेना प्रमुख अनेक सहस्र गणिकाओं, व अन्य अनेक ईश्वर तलवर यावत् सार्थवाह प्रमुख का व वैतादयगिरी से समुद्र पर्यन दक्षिणार्थ भरत का अधिपतिपना करते हुवे द्वारिका नगरी में विचरते थे. ॥ ६॥ उस द्वारका नगरी में याचा नामकी गायापतिनी रहती थी. वह ऋद्धिपती यावत् अपरिभूता थी ॥ ७॥ उस थावच्चाई ग.धापतिनी को थावचा नाम का पुत्र था. वह सुकोमल हाथ पांव बाला यावत् सुरूप था. ॥ ८ ॥ थावच्चा पुत्र को साधिक आठ वर्ष का हुवा देख कर शुभ तिथी, करण नक्षत्र व मुहूर्त में वह गाथा प्रकाशक-राजावट दरलाला सुखदेवसमयजी ज्वालाप्रपाटनी 6 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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