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चाहक-वाब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋविर्ज
णमसइ २ ता, एवं क्यासी- इच्छामिणं भंते ! तुब्भेहि अन्भणुण्णाए समाणे दो मासियं भिक्खु पडिम उवसंपजित्ताणं विहरित्तए ? अहासुहं देवाणुपिया ! मापडिबध करेह. जहा पढनाए अभिलावो तहादचाए. तचाए, चउत्थाए, पंचमाए छम्मासियाए, सत्तनालियाए पदम सत्तराईदयाई, दच सत्तराईदियाइ. तश्च सत्तराईदियाई. अहोर इंदियाएवि एगराई दियाए वि ॥ १७५ ॥ १, से मेह अगगारे, वारस निवखुपडिमाआ समं कारण फामता पालना समितीरितः किहिता
पुगरवि दइ नमसइ २ त्ता एवं वाली इन्छ मिणं भते ! तुमेहं अब्भणुण्याए भगवान महावीर स्वामी को वंदना नमस्कार कर ऐसा कर अओ देवानुभिः ! बाप की आज्ञा हवे तो दो मास | की मिपनिमा अंकार कर विवरना चाहता हूं.भगवान ने उत्तर दिया जैना सुख होने तकरो,निलम्न मत करो। जैसे पहिली शिक्षा पडिमा का आलायक कहाने ही सरी, चौबी. पांछ मातबी सात महिने तक सात २ दालभाहा पानीकोली, आदी सातगावहिनी त्रिीदामोसमात्रि दिनकी. इमारचीदा शिदिनी वधारनदेवकीनाअनुसार सरकार की इस उक्त
हमनमायकवादक्षास्व जानता. ॥१७॥ भिकोबार प्रतिमाओम्पकप्रकार +सेकाया स स्पर्श कर पालकर, पूर्ण का यावत् कीकर मेघ अणगार भगवान महावीर स्वामी को वंदन
'काशक राजबहादुर लाला मुम्बतेवमहायजी
अर्थ
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