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________________ चेतियं पुरिस सहस्सवाहिणी सीयं उवट्ठवेह ॥ तएणं ते कोडुंबियपुरिसा हट्टतुट्ठा जाव उवट्ठवेइ ॥ १२. ॥ तएणं से मेहकुमारे सीयं दुरुहइ २ त्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे ॥ तएणं तस्स मेहस्स कुमारस्स माया हाय कयबलिकम्मा जाव अप्पमहग्घमरणालंकियसरीरा सीयं दुरुहइ २ मेहस्सकुमारस्स दाहिणपासे भद्दासणसि णिसीयंति ॥ तएणं तस्स मेहस्सकुमारस्स अंमधाई रयहरणं पडिग्गहं च गहाय सीयं दुरुहइ २ मेहस्स कुमारस्स वामेपासे भद्दासणसि णिसीयंति ॥ तएणं तस्स मेहस्स कुमारस्स पिट्ठओ एगवरतरुणी सिंगारागार चारुवेसा संगयगय हसिय रूपवाली शीघ्र, त्वरित, चपल, सहश्र, पुरुष उठासके वैसी एक शिविका (पालखी) तैयार करो. उससमय में कौटुम्बिक पुरुषों हृष्टतुष्ट हुए यावत् पालखी तैयार कर लाकर रखी ।। १२० ॥ तत्पश्चात् मेघकुमार उसमें पालखी पर चढकर सिंहासनपे पूर्वाभिमुख से बैठे. मेघकुमार की माताने स्नान कीया कुल्ले कीये यावत् अल्पाभार व बहुमूल्यवाले वस्त्राभरण से शरीर अलंकृत कीया पीछे पालखी पर आरूढ होकर मेघकुमार की दाहीनी बाजु पर भद्रासन पर बैठी. उस समय में मेघकुमार की अम्मा धात्री [दूध पीलाने 13वाली ! रजाहरण व पात्र लेकर पालखी पर चढकर मेघकुमार की वाइ वाजु पर भद्रासन पे बैठी. मेघ-150 कुमार की पीछे एक श्रेष्ठ, शृंगारकी आगर, उत्तम मनोहर वेष धारन करनेवाली, संगति से गमन करने षष्टमांग-ज्ञाता धर्मकथा का प्रथम श्रुतस्कन्ध 48+ 488+ उत्क्षिप्त ( मेघवपार ) का प्रथम अध्ययन 488+ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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