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स्थासे अपनी उन्नति की सच्ची दिशा प्राप्त करके अधिकाधिक उन्नति करे, ऐसी मेरी भावना है।
"प्रार्थनाके रूपमें (मैं) सूचना करता हूँ कि इस सम्मेलनके कार्यक्रममें गच्छ, समाचारी व मुहपत्तिके विषयके बारेमें चर्चा नहीं होगी, ऐसा जब मैं सब गच्छोंके मुनियोंको निमंत्रण देनेको मिला था उस समय मैंने (वातावरणकी शांतिके निमित्त) कबूल किया है । इससे सम्मेलनमें इन विषयोंकी चर्चा न हो ऐसा करनेकी मेरी प्रार्थना है।
" इस सम्मेलनके कार्यमें जिन जिन भाइओंने अपनी सेवा देकर सहकार किया है, उन सबका मैं इस स्थानमें उपकार मानता हूँ।
"मुनि सम्मेलनकी सफलताकी कामना करनेवाले जो संदेश मुझे मिले हैं, उनको मैं अभी आपके सामने पढ सुनाता हूँ। उसकी पूर्णाहृतिके पश्चात् आप सर्व मुनिमहाराजोंसे संमेलनके पंडालमें पधारकर, सम्मेलनके मंगलमय कार्यका शुभ प्रारंभ, विशाल हृदयकी उदार भावनासे, करनेकी मैं प्रार्थना करता है। उदार भावनासे किये हुए निर्णयोंका प्रभाव अपने जैन समाजमें चिरकाल पर्यंत शिरोधार्य बना रहेगा!
“अन्तमें इस कार्यके कारण, आप श्रीमान्के समागममें आते हुए मेरेसे किसीभी प्रकारका अविनय हुआ हो तो उसकी मैं नम्र भावसे क्षमा मांगता हूँ। | "मैं जब भिन्न भिन्न गांव तथा शहरोंमें विराजते हुए मुनिमहाराजोंको निमंत्रण करनेको गया था उस समय उन सब स्थानोंके श्री संघोंकी ओरसे मुझे जो अत्यंत भावपूर्वक सत्कार मिला है, उन सभी श्रीसंघोंका भी मैं ऋणी हूँ।
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