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विविध चूजन संग्रह
॥ २८ ॥
(४) ॐ ही टवर्गाय स्वाहा (द्राक्षा-५) नमो अरिहंताणं (बीजोरूं) (५) ॐ हीं तवर्गाय स्वाहा (द्राक्षा-५) नमो अरिहंताणं (बीजोरूं) (६)ॐ ह्रीं पवर्गाय स्वाहा
(द्राक्षा-५) नमो अरिहंताणं (बीजोळं) (७) ॐ ह्रीं यवर्गाय स्वाहा
(द्राक्षा-४) नमो अरिहंताणं (बीजोळं) (८) ॐ ह्रीं शवर्गाय स्वाहा (द्राक्षा-४) नमो अरिहंताणं (बीजोरु) ॐ ह्रीं अनाहतदेवाय स्वाहा-बोली १६ अनाहतोर्नु पूजन करवू (शर्करालिङ्ग शर्करामेरुथी)
॥ इति द्वितीयं वलयम् ॥ तृतीयं वलयम् ॥४८ लब्धिपदपूजनम् ॥ (४८ खारेक) ॥ श्रीलब्धिषदगर्भितमहर्षिस्तोत्रम् ॥
(उपजातिच्छन्दः) जिनास्तथा सावधयश्चतुर्धा, सत्केवलज्ञानधनास्त्रिधा च । द्विधा मनःपर्ययशुद्धबोधा, महर्षयः सन्तु सतां शिवाय ॥१॥
श्री सिद्धचक्र पूजन विधि
॥२८॥
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