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________________ विविध पूजन संग्रह ॥ २७ ॥ Jain Education International ( ४ ) ॐ ह्रीँ शुद्धसिद्धान्ताध्यापनप्रवणेभ्यः श्रीउपाध्यायेभ्यो नमः स्वाहा ॥ (५) ॐ ह्रीँ सिद्धिमार्गसाधनसावधानेभ्यः श्रीसर्वसाधुभ्यो नमः स्वाहा ॥ (६) ॐ ह्रीं तत्त्वरुचिरूपाय श्रीसम्यग्दर्शनाय नमः स्वाहा ॥ (७) ॐ ह्रीँ तत्त्वावबोधरूपाय श्रीसम्यग्ज्ञानाय नमः स्वाहा ॥ (८) ॐ ह्रीं तत्त्वपरिणतिरूपाय श्रीसम्यक्चारित्राय नमः स्वाहा ॥ (९) ॐ ह्रीं केवलिनर्जरारूपाय श्रीसम्यक्तपसे नमः स्वाहा ॥ दरेक पदनी पूजा थया पछी एकेक नवकारवाळी गणवी । ॥ इति प्रथमवलयम् ॥ द्वितीयवलयम् ॥४९ द्राक्षो ने ८ बीजोरा ॥ ( १ ) ॐ ह्रीँ अवर्गाय स्वाहा ( २ ) ॐ ह्रीँ कवर्गाय स्वाहा ( ३ ) ॐ ह्रीँ चवर्गाय स्वाहा ( द्राक्षा-१६ ) ( द्राक्षा-५ ) ( द्राक्षा- ५ ) For Personal & Private Use Only नमो अरिहंताणं ( बीजोरुं ) नमो अरिहंताणं ( बीजोरुं ) नमो अरिहंताणं ( बीजोरुं ) श्री सिद्धचक्र पूजन विधि ॥। २७ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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