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________________ विविध पूजन संग्रह ॥ १६४ ॥ यों तो संसार में अनेक जीव उत्पन्न होते हैं और पानी के परपोटे के समान नष्ट हो जाते हैं, किन्तु जीवन उन्हीं का सफल है जो स्व-पर दोनों का अध्यात्म भावों द्वारा जीवन सार्थक कर जाते हैं। उन्हीं परमार्थ व्यक्तियों में हमारे पंडितवर्य श्री चंपकलाल शाह है । जिन्होंने बचपन से अपने पिताश्री चीमनलाल व मातुश्री शान्ताबेन के द्वारा प्राप्त सुसंस्कारों व धार्मिक भावनाओं से अपने जीवन की साधना के साथ-साथ समाज, धर्म एवं सुसंस्कारों की जड़ हर एक बालक-बालिका व समाज के हर व्यक्ति के हृदय में जमा दी। साधु-साध्वीजी एवं चतुर्विध संघ के मानसपट पर जैन धर्म-वीतराग वाणी की अटूट श्रद्धा उत्पन्न कर दी । उन्हीं महान्, उपकारी एवं धर्मिक ज्ञानदाता का संक्षिप्त परिचय दे रहे है। जिन्होंने हमें अज्ञान-अंधकार से निकाल कर धार्मिक ज्ञान की तरफ अग्रसर किया, उन्हीं गुरु चरणों में कोटि-कोटि वन्दन । जन्म : आप श्री का एक छोटे से गाँव खीमाणा (भीलडीयाजी तीर्थ के समीप) में हुआ था । आप के पिताश्री का नाम चीमनलाल एवं माताजी का नाम शान्ताबहन है । आप जन्म से ही मनमोहक थे, लाड-प्यार से पलने लगे। "होनहार बिरबान के, होत चिकने पात" . सम्पादकीय परिचय ॥१६४॥ For Personal & Private Use Only Jano menal
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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