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________________ विविध पूजन संग्रह ॥ १४३ ॥ (१९) अष्ट प्रकारी पूजन : इस पूजन में प्रथम अष्ट प्रकारी पूजा, फिर वस्त्र आभूषण पूजन, भावपूजन के अधिकार से ध्यान, स्तोत्र, श्रवण आदि क्रियाए करनी चाहिए । इसमें अष्ट प्रकारी पूजन का क्रम इस प्रकार है :- (१) जलपूजा । (२) गंधपजा । (३) अक्षतपूजा । (४) पुष्पपूजा । (५) नैवेद्यपूजा । (६) दीपकपूजा । (७) धपपुजा । (८) फलपूजा । इन आठों ही पूजन में पूजन करने वालों को पूजा का द्रव्य (सामान) लेकर बैठना चाहिए । पूजा का मुख्य श्लोक सनना चाहिए । बाद में पूजा का द्रव्य (सामान) समर्पित (चढ़ाना) करना चाहिए । बाद में क्रिया कारक को १०८ आहूति देना चाहिए । (१) जलपूजा :ॐ ह्रीं श्रीं मंत्ररूपे विबध-जन-नुते देव देवेन्द्र वंद्ये । चञ्चच्चन्द्रावदाते, क्षपित कलिमले हारनिहार गौरे ॥ भीमे भीमाट्ट हासे, भवभय हरणे भैरवे भीम रूपे । हाँ ही हुँकार नादे, विशद जलभरैस्त्वां यजे देवी पद्मे ॥ श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन विधि ॥१४३ ॥ Jain Education in For Personal & Private Use Only www.ininelibrary.org
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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