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________________ विविध पूजन संग्रह ।। १३३ ॥ ४. नैऋत्यकोना सन्मुख : ॐ नमो नैऋत्ये सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय...पूर्ववत् मंत्र बोलना। पश्चिमदिशा सन्मुख : ॐ नमो वरुणाय सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय...पूर्ववत् मंत्र बोलना। वायव्यकोना सन्मुख : ॐ नमो वायवे सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय...पूर्ववत् मंत्र बोलना। उत्तरदिशा सन्मुख : ॐ नमो धनाय सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय...पूर्ववत् मंत्र बोलना। ईशानकोना सन्मुख : ॐ नमो ईशानाय सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय...पूर्ववत् मंत्र बोलना। उर्ध्वदिशा सन्मुख : ॐ नमो ब्रह्मणे सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय...पूर्ववत् मंत्र बोलना। १०. अधोदिशा सन्मुख : ॐ नमो नागाय सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय...पूर्ववत् मंत्र बोलना। पुरानी ध्वजा को उतारकर दंड एवं कलश को अभिषेक करना, प्रक्षाल पूजा करना, अंगलूछना करना, | केसर का छांटना करना, फूल चढ़ाना, धूप-दीपक करना, ध्वजादंड के मूल में स्वस्तिक बनाना, पुष्प-नैवेद्य, रु:/पैसा रखना बाद ध्वजादंड के पर्व पर मिंढल-मरढा सिंगी बांधना । दर्भ घास और नागर वेल के पांच पत्ते साथ में बांधना। ॐ पुण्याहं-२ प्रियंतां-२ का उच्चारण करना, ९ नवकार मंत्र गिनना । वार्षिक ध्वजारोहण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.ininelibrary.org
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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