________________
विविध
पूजन संग्रह
॥ १३२ ॥
Jain Education International
प्रदक्षिणा देनी । बाद में ध्वजा, प्रक्षाल, जल, पंचामृत, अंगलूछना, चन्दन, वासक्षेप, धूप, दीपक, कुमकुम (सिन्दूर), फूल, सुपारी, घंटी, दर्पण, थाली, डंडा, बाकुला, ( सवा किलो पांच धान वाला), उड़द ( माह साबत), चना (काले छोले ), मग (मूंगी साबत), घऊं ( कनक), जुवार (सफेद रंग ), डांगर (छिलके वाले चावल ), जव, अबिल-गुलाल-बूंदी के लड्डू-मीढल - मरडाशींग, दर्भ घास (चौड़ी पत्ती वाली घास), नागरवेल पान पत्ता पांच दंडी सहित, फूल की दो माला, रुः/पैसे, चांवर, बरास, तीन धागे वाली मौली, मिट्टी के कुज्जे दो ( दशांग धूप धुखाने के लिए), दशांग धूप डालकर ऊपर तमाम सामग्री के साथ शिखर ऊपर जाना बाद में निम्न लिखित मंत्र बोलकर दश दिशाओं में बाकुला उछालना ।
१.
२. ३.
पूर्वदिशा सन्मुख : ॐ नमो इंद्राय सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय अस्मिन्जम्बुद्वीपे भरतक्षेत्रे दक्षिणार्धभरते मध्यखण्डे...( भारत ) देशे ...( पंजाब ) राज्ये... ( लुधियाना ) नगरे ( श्री जिन मंदिर जी का नाम ) जिनप्रासादे ( स्नात्र पूजा में विराजमान भगवान जी का नाम श्री शांतिनाथ ) जिनमण्डपे श्रेष्ठिवर्य श्रीमान् परिवारकारिते वार्षिक वर्षगांठ ध्वजारोहण विधि महोत्सवे पूजाबलिं गृहाण गृहाण स्वाहा । अग्निकोना सन्मुख : ॐ नमो अग्नये सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय... पूर्ववत मंत्र बोलना । दक्षिणदिशा सन्मुख : ॐ नमो यमाय सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय... पूर्ववत् मंत्र बोलना ।
For Personal & Private Use Only
वार्षिक ध्वजारोहण
॥ १३२ ॥
www.jainelibrary.org