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________________ विविध पूजन संग्रह ॥ १२७ ॥ Jain Education International अन्तमें विसर्जन ॐ आज्ञाहीनं क्रियाहीनं, मंत्रहीनं च यत्कृतम् । तत्सर्वकृपया देवाः, क्षमन्तु परमेश्वराः ॥ आह्वानं नैव जानामि, न जानामि विसर्जनम् । पूजार्चां नैव जानामि, प्रसीद परमेश्वर ॥ कुसुमांजलि से वधाना । ॐ विसर विसर स्वस्थानं गच्छ गच्छ स्वाहा ॥ चैत्यवंदन ( १ ) नमो गणधर नमो गणधर लब्धि तणा भंडार । इन्द्रभूति महिमानीलो, वड वजीर महावीर केरो । गौतम गोत्रे उपन्यो, गण अग्यारमांहे वडेरो । केवलज्ञान लह्यं जिणे, दिवाली परभात । ज्ञानविमल कहे जेहना नाम थकी सुखशाता । (२) इन्द्रभूति पहेलो भणुं, गौतम जस नाम । गोबर गामे उपन्या, विद्याना धाम । पंचसया परिवारशुं, लेइ संयम भार । वरसपचासे गृहवस्या, व्रते वर्ष ज त्रीश । बार वरस केवलवर्या ए, बाणुं वरस सवि आय । नय कहे गौतम नामथी, नित्य-नित्य नव निधि थाय । For Personal & Private Use Only श्री गौतमस्वामी पूजनविधि ।। १२७ ।। www.jainelibrary.org
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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