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________________ विविध पूजन संग्रह ॥ १२६ ॥ फिर सजोडे खडे पग पर बैठकर हाथमें स्वस्तिक व कुसुमांजलि रखकर दोनों हाथ मिलाकर हाथमें बड़ा कलश रखकर नवकार उवस्सग्गहरं और बृहत्शांति बोलते बोलते अष्टमंगल घडा अखण्ड धारा से भरना । फिर घडा पर पांच पान नारियल, रखकर पीला वस्त्र (रेश्मी) से घड़ा बांधना उपर-चांदी व सोने का वरख लगाकर केसर-कुसुमांजलि से बधाकर फूल की माला चढ़ानातीन प्रदक्षिणा देकर मण्डल की बायीं दिशा में चावल की ढगली करके रखना । श्री गुरु गौतमस्वामी आरती जय जय आरति गौतमदेवा, सुरनर किन्नर करते सेवा ॥१॥ प्रथम आरति, विघ्न को चूरे, मनवांछित फल सघलो पूरे ॥२॥ दूसरी आरति मंगलकारी, विघ्न निवारी सुख दातारी ॥ ३॥ तीसरी आरति कर्ता भावें, दुःख दोहग सवि दूरे जावे ॥४॥ चोथी आरती महाप्रभावी, आशा पूरे देवो आवी ॥५॥ पंचम आरति पंच प्रकारी, केवलज्ञान देवे जयकारी ॥६॥ आत्म-कमलमें लब्धिदाता, गौतम आरति करे सुख शाता ॥ ७॥ फिर इरियावहिया पूर्वक पूर्ण चैत्यवंदन करना । श्री | गौतमस्वामी पूजनविधि ॥ १२६॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.ininelibrary.org
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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