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________________ विविध पूजन संग्रह ॥ १२५ ॥ , अस्मिन् जम्बूद्वीपे भरतक्षेत्रे दक्षिणार्धभरते मध्यखंडे गुर्जरदेशे पालिताणानगरे श्री नीतिहर्ष-महेन्द्र-मंगलप्रभसूरी पुण्य प्रभाव साम्राज्ये गच्छाधिपति आ. देव अरिहंत सिद्धसूरीश्वरादि मुनि मण्डल शुभनिश्रायां सं. वर्षे..........मासे..........तिथौ........वासरे मम शरीरे रोगादि निवारणार्थे मनोकामना सिद्ध्यर्थे, व्यापारलाभार्थे, विजयार्थे , शत्रुकष्ट निवारणार्थे श्री गौतमस्वामिन् पूजन प्रभावात् अधिष्ठायक देव प्रसन्नार्थे सफली भवतु । संकल्प करने के बाद सभी को एक पीला रेशमी धागा देना और निम्नोक्त एक-एक मंत्र बोलकर धागे को कुल ३६ गांठे देने की और ३६ बार वासक्षेप फूल अक्षत के द्वारा पूजन करना । “ॐ ह्रीं नमो भगवओ गोयमस्स सिद्धस्स बुद्धस्स, अक्षीण महाणस्स, लब्धि संपन्नस्स भगवन् भास्कर मम वांछितं पूरय पूरय कल्याणं कुरु कुरु स्वाहा ॥" श्री गौतमस्वामी पूजनविधि ॥१२५ ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.ininelibrary.org
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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