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अढार अभिषेक विधिः।
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नाकनदी-नदविहितः, पयोभिरम्भोज-रेणुभिः सुभगैः। श्रीमजिनेन्द्रपादौ, समर्चयेत्सर्व-शान्त्यर्थम् ॥२॥ "ॐ हाँ ही हहै हौं हः परम अहंते तीर्थोदकेन स्नापयामीति स्वाहा" ॥ इति षोडशस्नात्रम् ॥
__ सत्तरमु (कपूर) स्नात्र कपूर कलशमा नाखी 'नमोऽहंत कही
शशिकर-तुषारधवला, उज्ज्वलगन्धा सुतीर्थ-जलमिश्रा । करोदकधारा, सुमन्त्रपूता पततु जिनबिम्बे ॥१॥ कनक-करकनाली-मुक्तधाराभिरद्भिः, मिलित-निखिलगन्धैः केलि-कपरभाभिः।'
अखिल-भुवन-शान्तिं शान्तिधारां जिनेन्द-क्रम-सरसिज-पीठे स्नापयेद्वीतरागान ॥२॥ “ॐ हाँ ह्रीं हैहाँ हा परम अर्हते कारेण स्नापयामीति स्वाहा" .. ॥ इति सप्तदशस्नात्रम् ॥
अढारमु (केशर-चंदन-पुष्प) स्नात्र केशर, चंदन अने फुल पाणीमा नाखी 'नमोऽहत्' कही- ..
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