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________________ सूर्यप्रज्ञप्तिवृत्तिः (मल०) ॥८१॥ यस्स ओया अन्ना उप्पजइ अन्ना अवेइ, एगे एवमासु १३, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुपुबसयमेव सूरियस्स ओयाका ६ ओजःअन्ना उप्पज्जइ अन्ना अवेइ, एगे एवमाहंसु १४, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुपुबसहस्समेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्प स्थितिजइ अन्ना अवेइ, एगे एवमासु १५, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुपुवसयसहस्समेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्पजइ, प्राभृते अन्ना अवेइ, एगे एवमाहंसु १६, एगे पुण एवमासु ता अणुपलिओवममेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्पज्जइ, अन्ना अवेइ, सू २७ एगे एवमाहंसु १७, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुपलिओवमसयमेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्पजइ, अन्ना अवेइ, एगे एवमाहंसु १८, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुपलिओवमसहस्समेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्पजइ अन्ना अवेइ, एगे एकमाहंसु १९, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुपलिओवमसयसहस्समेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्पज्जइ, अन्ना अवेइ, एगे एवमाहंसु २०, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुसागरोषममेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्पजइ, अन्ना अवेइ, एगे एषमाइंसु २१, |एगे पुण एवमाहंसु ता अणुसागरोवमसयमेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्पज्जइ, अण्णा अवेइ, एगे एवमाइंसु २२, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुसागरोवमसहस्समेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्पजइ, अन्ना अवेइ, एगे एचमाहंसु-२३, एगे पुष्प एवमासु ता अणुसागरोवमसयसहस्समेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्पजइ, अण्णा अवेइ, एगे एवमाहंसु २४, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुउस्सप्पिणिओसप्पिणिमेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्पजइ, अन्ना अवेइ, एगे एवमाहंसु २५' एताश्च प्रतिपत्तयः सर्वा अपि मिथ्यात्वरूपा यतोऽत एतासामपोहेन भगवान् स्वमतमुपदर्शयति-वयं पुनरेवं-वक्ष्यमाणप्रकारेण वदामः, तमेव प्रकारमाह-ता तीस'मित्यादि, ता इति पूर्ववत , जम्बूद्वीपे प्रतिवर्ष परिपूर्णतया त्रिंशतं त्रिंशतं मुहचान dain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600245
Book TitleSuryapragnptisutram
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1919
Total Pages606
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_suryapragnapti
File Size12 MB
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