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प्रज्ञापना
या: मल
य० वृत्ती.
॥४३९॥
जीवातो, वाणमंतरजोइसियवेमाणियातो जहा नेरइयातो, जीवे णं भंते! जीवेहिंतो कतिकिरिए १, गो ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिते सिय अकिरिए, जीवे णं भंते ! नेरइएहिंतो कतिकिरिए १, गो० ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिते सिय अकिरिए, एवं जहेव पढमो दंडतो तहा एसो वितिओ भाणितवो जाव वेमाणियत्ति, जीवा णं भंते ! जीवातो कतिकिरिया १, गो० ! सिय तिकिरियावि सिय चउकिरियाव सिय पंच किरियाव सिय अकिरियावि, जीवाणं भंते ! नेरइयातो कति किरिया १, गो० ! जहेव आदिल्लदंडतो तहेव भाणितवो, जाव वेमा•णियत्ति, जीवा णं भंते ! जीवेहिंतो कति किरिया १, गो० ! तिकिरियावि चउकिरियावि पंचकिरियावि अकिरियावि, जीवा णं भंते ! नेरइएहिंतो कतिकिरिया ?, गो० ! तिकिरिया चउकिरिया अकिरिया, असुरकुमारेहिंतोवि एवं चैव जाव वैमाणितेर्हितो, ओरालियसरीरेहिंतो जहा जीवेहिंतो । नेरइए णं भंते! जीवातो कतिकिरिए ?, गो० ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंच०, नेरइए णं भंते ! नेरइयातो कतिकिरिए ?, गो० ! सिय तिकिरिए सिय. च०, एवं जाव वेमाणिएहिंतो, नवरं नेरइयस्स नेरइएहिंतो देवेहिंतो य पंचमा किरिया नत्थि, नेरइया णं भंते ! जीवातो कति किरिया ?, गो० ! सिय तिकि० सिय चउकि० सिय पंचकि०, एवं जाव वैमाणियातो, नवरं नेरइयाओ देवाओ य पंचमा किरिया नत्थ, नेरइया णं भंते ! जीवेहिंतो कतिकिरिया ?, गो० ! तिकिरिया वि चउकि० पंचकि०, नेरइया णं भंते ! नेरइएहिंतो कतिकिरिया ?, गो० ! तिकि० चउकि०, एवं जाव वेमाणिएहिंतो, नवरं ओरालियसरीरेहिंतो जहा जीवेहिं, असुरकुमारे णं भंते! जीवातो कति किरिए ?, गो० ! जहेव नेरइए चत्तारि दंडगा तहेव असुरकुमारेवि चत्तारि दंडगा
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२२ क्रियापदे प्राणातिपातादि
भ्यः कर्मवन्धः नारकादिभ्यः क्रियाश्च
सू. २८१
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