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________________ प्रज्ञापना या: मलयवृत्ती. १७ लेश्या। पदे उद्देशः ॥३४५॥ Ponderosa9922920 एएसिणं भंते ! नेरइयाणं कण्हलेसाणं नीललेस्साणं काउलेस्साण य कयरे २ हिंतो अप्पा वा ४१, गो० ! सव्वथोवा नेरइया कण्हलेसा नीललेसा असं० काउले. असं० (सूत्र २१७) एतेसि णं भंते ! तिरिक्खजोणियाणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेसाण य कयरे २१, अप्पा वा ४ गो० ! सब० तिरिक्खजोणिया सुक्कलेसा एवं जहा ओहिया नवरं अलेस [सलेस] वज्जा, एएसि एगिदियाणं कण्ह० नील काउ० तेउलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ४१, गो०! सव्वत्थोवा एगिदिया तेउलेस्सा काउले० अणं० नीलले० विसेसा कण्हलेसा० (विसेसा०)। एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं कण्हलेसाणं जाव तेउलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ४१, गो० ! जहा ओहिया एगिदिया नवरं काउलेस्सा असंखेजगुणा, एवं आउकाइयाणवि, एतेसि णं भंते ! तेउकाइयाणं कण्हलेस्साणं नीललेस्साणं काउलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४१, गो० ! सवत्थोवा तेउकाइया काउलेस्सा नीललेस्सा विसेसाहिया कण्हलेस्सा विसेसाहिया, एवं वाउकाइयाणवि, एतेसि णं भंते ! वणस्सइकाइयाणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य जहा एगिदिय० ओहियाणं, बेइंदियाणं तेइंदियाणं चरिंदियाणं जहा तेउकाइयाणं, एएसि णं भंते ! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं कण्हलेसाणं एवं जाव सुक्कलेसाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४१, गो०! जहा ओहियाणं तिरिक्खजोणियाणं नवरं काउलेस्सा असंखेजगुणा, संमुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जहा तेउकाइयाणं, गम्भवक्कंतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जहाओहियाणं तिरिक्खजोणियाणं नवरं काउलेस्सा संखेजगुणा, एवं तिरिक्खजोणिणीणवि, एएसिणं भंते ! संमुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं गम्भवकतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाण य कण्ह० जाव सुक्कलेसाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ४१, गो०! सत्वत्थोवा गम्भवक्कतियपंचेंदियतिरि० सुक्क. 9928009009POnea ॥३४५॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600240
Book TitlePragnapanopangamsutram Part 01
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages752
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size14 MB
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