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________________ प्रज्ञापनायाः मलयवृत्ती. 2029 ॥२९॥ भंते ! बेइंदियाणं जिभिदियफासिंदियाण ओगाहणट्टयाते पदेसट्टयाते ओगाहणपदेसट्टयाते कयरेशहितो अ०४१, गो० ! १५इन्द्रिसवत्थोवे बेइंदियाणं जिभिदिए ओगाहणयाते फासिदिए ओगाहणट्टयाते संखेज्जगुणे पदेसहयाते सव्वत्थोवे बेइंदियाणं यपदे जिभिदिते पएसट्टयाए फासिदिए संखेज्जगुणे ओगाहणपएस द्वयाते सव्वत्थोवे बेइंदियस्स जिभिदिए ओगाहणट्ठयाते उद्देशः १ फासिदिए ओगाहणट्ठयाते संखेजगुणे फासिदियस्स ओगाहणट्टयातेहितो जिभिदिए पएसट्ठयाते अणंतगुणा फासिदिए पएसट्टयाए संखेजगुणा, बेइंदियाणं भंते ! जिभिदियस्स केवइया कक्खडगरुयगुणा पं०? गो०! अणंता, एवं फासिंदियस्सवि, एवं मउयल हुयगुणावि, एतेसि णं भंते ! बेइंदियाणं जिभिदियफासिंदियाणं कक्खडगरुयगुणाणं मउयलहुयगुणाण कक्खडगुरुयगुणमउयलहुयगुणाण य कतरे हितो अ०४१, गो०! सवत्थोवा बेईदियाणं जिभिदियस्स कक्खडगरुयगुणा फासिंदियस्स कक्खडगरुयगुणा अणंतगुणा, फासिंदियस्स कक्खडगरुयगुणेहिंतो तस्स चेव मउयलहुय० अर्णतगुणा जिन्भिदियस्स मउयलहुयगुणा अणंतगुणा, एवं जाव चउरिदियत्ति, नवरं इंदियपरिवुड्डी कातवा, तेइंदियाणं धार्णिदिए थोवे चउरिंदियाणं चक्खिदिए थोवे, सेसं तं चेव॥ पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं मसाण य जहा नेरइयाणं, गवरं फासिदिए छविहसंठाणसंठिते पं०, तं०-समचउरंसे निग्गोह परिमंडले सादी खुज्जे वामणे इंडे ॥ वाणमंतरजोइसियवेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं (सूत्रं १९३) ॥२२७॥ 'नेरइयाणं भंते !' इत्यादि सुगम, नवरं 'नेरइयाणं भंते ! फासिदिए किंसंठिए पण्णत्ते' इत्यादि, द्विविधं हि नैर-18| यिकाणां शरीर-भवधारणीयमुत्तरवैक्रियं च, तत्र भवधारणीयं तेषां भवखभावत एव निर्मूलविलुप्तपक्षोत्पाटितस eaeeeeeeeeeeeeeeeera Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600240
Book TitlePragnapanopangamsutram Part 01
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages752
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size14 MB
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