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________________ प्रज्ञापनायाः मलय० वृत्ती. १०चरमाचरमपदं ॥२४३॥ सोगाढस्स अचरमस्स चरमाण य चरमंतपएसाण य अचरमंतपएसाण य दवट्ठयाए पएसट्टयाए दबट्ठपएसट्टयाए कयरे२ हिंतो अ० ब० तु० वि०१, गो०! सबथोवे परिमंडलस्स संठाणस्स असंखेजपएसिअस्स संखेजपएसोगाढस्स दबट्टयाए एगे अचरमे चरमातिं संखेजगुणाति, अचरमं च चरमाणि य दोवि विसेसाहियाति पदेसट्टयाते सव्वत्थोवा परिमंडलसंप्रगस्स असंखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स चरमंतपएसा अचरमंतपएसा संखिजगुणा चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोवि विसेसाहिया दवट्ठपएसट्टयाए सव्वत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स असंखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स दवयाए एगे अचरिमे चरमातिं संखेज्जगुणातिं अचरमं च चरमाणि य दोवि विसेसाहियातिं चरमंतपएसा संखेजगुणा अचरमंतपएसा संखेजगुणा चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोवि विसेसाहिया, एवं जाव आयते । परिमंडलस्स णं भंते! संठाणस्स असंखेजपएसियस्स असंखेजपएसोगाढस्स अचरमस्स चरमाण य चरमंतपएसाण य अचरमंतपएसाण य दवट्टयाए पएसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए कयरेशहितो अ० ब० तु० वि० १, गो० ! जहा रयणप्पभाए अप्पाबहुयं तहेव निरवसेसं भाणियवं, एवं जाव आयते । परिमंडलस्स ण भंते ! संठाणस्स अणंतपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स अचरिमस्स य ४ दबट्टयाए ३ कयरेशहितो अब तु० वि०?, गो०! जहा संखेजपएसिअस्स संखेजपएसोगाढस्स, नवरं संकमेणं अणंतगुणा, एवं० जाव आयए, परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स अणंतपएसियस्स असंखेअपएसोगाढस्स अचरमस्स य जहा रयणप्पभाए, नवरं संकमे अणंतगुणा, एवं जाव आयते (मूत्रं १५९)॥ 18| ॥२४॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only wwww.jainelibrary.org
SR No.600240
Book TitlePragnapanopangamsutram Part 01
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages752
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size14 MB
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