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________________ वउत्ता संखिजगुणा परिग्गहसन्नोवउत्ता संखिजगुणा भयसन्नोवउत्ता संखिजगुणा॥तिरिक्खजोणियाणं भंते! किं आहारसन्नोवउत्ता जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता?, गोयमा ! ओसन्नं कारणं पडुच्च आहारसन्नोवउत्ता संतइभावं पडुच्च आहारसन्नोवउतावि जाव परिग्गहसनोवउत्तावि, एएसि णं भंते ! तिरिक्खजोणियाणं आहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिग्गहसन्नोवउत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा तिरिक्खजोणिया परिग्गहसनोवउत्ता मेहुणसन्नोवउत्ता संखिजगुणा भयसनोवउत्ता संखिजगुणा आहारसन्नोवउत्ता संखिजगुणा ॥ मणुस्सा णं भंते ! किं आहारसनोवउत्ता जाव परिग्गहसनोवउत्ता ?, गोयमा ! ओसन्न कारणं पडुच्च मेहुणसन्नोवउत्ता संततिभावं पडुच्च आहारसनोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोवउत्तावि, एएसि णं भंते ! मणुस्साणं आहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिग्गहसन्नोवउत्ताण य कयरे कयरहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?, गोयमा ! सवत्थोवा मणूसा भयसनोवउत्ता आहारसन्नोवउत्ता संखिजगुणा परिग्गहसन्नोवउत्ता संखिजगुणा मेहुणसन्नोवउत्ता संखिजगुणा ।। देवा णं भंते ! किं आहारसन्नोवउत्ता जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता ?, गोयमा ! ओसन्नं कारणं पडुच्च परिग्गहसनोवउत्ता संततिभावं पडुच्च आहारसन्नोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोवउत्तावि, एएसिणं भंते ! देवाणं आहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिग्गहसन्नोवउताण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सवत्थोवा देवा आहारसन्नोवउत्ता भयसन्नोवउत्ता संखिजगुणा मेहुणसन्नोवउत्ता संखिज्जगुणा परिग्गहसन्नोवउत्ता संखेजगुणा (मूत्रं १४८) । इति पन्नवणाए भगवईए अट्टमं सन्नापदं समत्तं । dan Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600240
Book TitlePragnapanopangamsutram Part 01
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages752
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size14 MB
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