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प्रज्ञापनायाः मलय० वृत्ती.
५ पर्यायपेद जघन्यावगाह| नादीनां
नैरयिकाणांपर्यायाः | सूत्रं १११
॥१८७॥
भंते ! नेरइयाणं केवइया पज्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा! अणंता पज्जवा पन्नत्ता, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नंठिइयाणं नेरइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नाठिइए नेरइए जहन्नठिइयस्स नेरइयस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तुल्ले वन्नगंधरसफासपञ्जवेहिं तिहिं नाणेहिं तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए एवं उकोसठिइएवि, अजहन्नमणुकोसठिइएवि, नवरं सहाणे चउहाणवडिए । जहन्नगुणकालगाणं भंते ! नेरइयाणं केवइया पज्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जहन्नगुणकालगाणं नेरइयाणं अणंता पज्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नगुणकालए नेरइए जहन्नगुणकालगस्स नेरइयस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले
ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए कालवन्नपजवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वन्नगंधरसफासपजवेहिं तिहिं नाणेहिं तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छहाणवडिए, से एएणडेणं गोयमा! एवं वुच्चइ जहन्नगुणकालगाणं नेरइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता, एवं उक्कोसगुणकालएवि, अजहन्नमणुक्कोसगुणकालएवि एवं चेव, नवरं कालवन्नपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए, एवं अवसेसा चत्तारि वन्ना दो गंधा पंच रसा अट्ट फासा भाणियवा । जहन्नाभिणिबोहियनाणीणं भंते ! नेरइयाणं केवइया पजवा पन्नत्ता, गोयमा! जहन्नाभिणिबोहियनाणीणं नेरइयाणं अणंता पजवा पनत्ता, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ जहन्नाभिणिबोहियनाणीणं नेरइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता, गोयमा! जहन्नाभिणिबोहियनाणी नेरइए जहन्नाभिणिबोहियस्स नाणिस्स नेरइयस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएसहयाए तुल्ले ओगाहणट्ठयाए चउहाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वनगंधरसफासपञ्जवेहिं छट्ठाणवडिए आभिणियोहियनाणपजवेहिं तुल्ले सुयनाण. ओहिनाणपज्जवेहिं छहाणवडिए तिहि-दसणेहिं छटा
॥१८७॥
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