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प्रज्ञापनाया: मलय० वृत्तौ.
५ पर्यायपदे असु| रादीनां पर्यायानन्त्यं सू. १०५-११०
॥१८४॥
'असुरकुमाराणं भंते ! केवइया पजवा पन्नत्ता, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-असुरकुमाराणं अणंता पज्जवा पन्नत्ता, गोयमा ! असुरकुमारे असुरकुमारस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए कालवन्नपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए एवं नीलवन्नपञ्जवेहिं लोहियवनपज्जवहिं हालिद्दवनपजवेहिं सुकिल्लवन्नपज्जवेहि सुब्भिगंधपज्जवेहिं दुन्भिगंधपज्जवेहिं तित्तरसपज्जवहिं कडुयरसपज्जवेहिं कसायरसपज्जवेहि अंबिलरसपज्जवेहिं महुररसपज्जवेहिं कक्खडफासपज्जवेहिं मउयफासपज्जवेहि गरुयफासपज्जवेहिं लहुयफासपज्जवेहिं सीयफासपज्जवहिं उसिणफासपज्जवेहिं निद्धफासपञ्जवेहि लुक्खफासपज्जवेहिं आभिणिबोहियणाणपञ्जवेहिं सुयनाणपज्जवेहि ओहिनाणपज्जवेहिं मइअन्नाणपज्जवहिं सुयअन्नाणपज्जवेहिं विभंगनाणपज्जवेहिं चक्खुदंसणपज्जवेहिं अचक्खुदंसणपज्जवेहिं ओहिंदसणपज्जवेहिं छहाणवडिए, से एएणडेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-असुरकुमाराणं अणंता पजवा पन्नत्ता एवं जहा नेरइया, जहा असुरकुमारा तहा नागकुमारावि जाव थणियकुमारा (मू०१०५) ॥ पुढविकाइयाणं भंते ! केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता, से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ पुढविकाइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता, गोयमा ! पुढविकाइए पुढविकाइयस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्ठयाए तुल्ले ओगाहणट्टयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए, जइ हीणे असंखि-. ज्जइभागहीणे वा संखिजइभागहीणे वा संखिजइगुणहीणे वा असंखिजइगुणहीणे.वा, अह अब्भहिए असंखिजइभागअब्भहिए वा संखिजइभागअब्भहिए वा संखिजगुणअब्भहिए वा असंखिजगुणअब्भहिए वा, ठिईए तिढाणवडिए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए, जइ हीणे असंखिजभागहीणे वा संखिजभागहीणे वा संखिजगुणहीणे वा अह
॥१८॥
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