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प्रज्ञापनायाः मलयवृत्ती.
१ प्रज्ञापनापदे ककिर्मानार्यजात्याचार्यमनुष्यसूत्रं ३७
६२॥
सायवीयरायचरित्तारिया य अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य । से किं तं सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया, सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरितारिया दुविहा प०, तं०-पढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अपढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य, अहवा चरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अचरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य, से सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया । से किं तं अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया ?, अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा प०, तं०-पढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अपढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य, अहवा चरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अचरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य, सेत्तं अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया, सेत्तं केवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया, सेत्तं खीणकसायवीयरायचरित्तारिया सेत्तं वीयरायचरित्तारिया । अहवा चरित्तारियापंचविहा प०, तं०-सामाइअचरित्तारिया छेदोवट्ठावणीयचरित्तारिया परिहारविसुद्धिचरित्तारिया सुहुमसंपरायचरित्तारिया अहक्खायचरित्तारिया य । से किं तं सामाइयचरित्तारिया ?, सामाइयचरित्तारिया दुविहा प०, तं०-इत्तरियसामाइयचरित्तारिया य आवकहियसामाइयचरित्तारिया य, सेत्तं सामाइयचरित्तारिया । से किं तं छेदोवद्यावणियचरिचारिया, छेदोवहावणियचरित्तारिया दुविहा प०, तं०-साइयारछेदोवहावणियचरित्तारिया य निरइयारछेदोवहावणियचरितारिया य, सेत्तं छेदोवद्यावणियचरित्तारिया । से किं तं परिहारविसुद्धियचरित्तारिया ?, परिहारविसुद्धियचरिचारिया
॥६२।।
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