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________________ प्रज्ञापना याः मल य० वृत्तौ . ॥ ६१ ॥ शून्यतापत्तिः । एतेऽष्टौ दर्शनाचाराः ॥ तदेवमुक्ताः सरागदर्शनभेदाः, तदभिधानाच्चाभिहिताः सरागदर्शनार्यभेदाः ॥ सम्प्रति वीतरागदर्शनार्यादिभेदानाह - ( से किं तमित्यादि, तदेवं दर्शनार्यभेदानुक्त्वा चारित्रार्यभेदानाह - ) किं तं चरिता [] रिया १, चरितारिया दुविहा प०, तं० – सरागचरितारिया य वीयरागचरित्तारिया य, से किं तं सरागचरित्तारिया १, सरागचरित्तारिया दुविहा प०, तं० – सुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया य बायरसंपरायसरागचरित्तारिया य । से किं तं सुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया १, सुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया दुविहा प०, तं० - पढमसम यसुहुमसंपरायसरागचरितारिया य अपढमसमय सुहुमसंपरायसरागचरितारिया य, अहवा चरिमसमय सुहुमसंपरायसरागचरितारिया य अचरिमसमयसु हुम संपरायसरागचरितारिया य, अहवा सुहुमसंपरायसरागचरितारिया दुबिहा प तं ० - संकिलिस्समाणा य विमुज्झमाणा य, सेत्तं सुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया । से किं तं बादरसंपरायसरागचरिचारिया १, बादरसंपरायसरागचरितारिया दुविहा प०, तं० - पढमसमयबाद रसंपरायसरागचरितारिया अपढमसमयबादरसंपरायसरागचरित्तारिया य, अहवा चरिमसमयबादरसंपरायसरागचरितारिया य अचरिमसमयबादरसंपरायसरागचरित्तारिया य, अहवा बादरसंपरायसरागचरित्तारिया दुविहा प०, तं० – पडिवाई य अपडिवाई य, सेतं बादरसंपरायसरागचरितारिया, सेतं सरागचरित्तारिया । से किं तं वीयरायचरित्तारिया १, वीयरायचरितारिया दुविहा प०, तं० - उवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया य खीणकसायवीयरायचरित्तारिया य । से किं तं उवसंतकसायवीयरायचरितारिया ?, उवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा ५०, तं ० - पढमसमय उवसंत कसायवीयरायचरितारिया य अपढमसम Jain Education International For Personal & Private Use Only १ प्रज्ञाप नापदे क मकर्मा नार्यजात्याद्यार्य मनुष्य सूत्रं ३७ ॥ ६१ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.600240
Book TitlePragnapanopangamsutram Part 01
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages752
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size14 MB
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