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________________ श्रीराजप्रश्नी से मलयगिरी या वृत्तिः चित्रसारथिधर्मश्र | वर्ण ॥१२६॥ 40 उज्ज्ञाणपालगाणं अंतिए एगन सोच्चा णिसम्म हतुट्ट जाव आसणाओ अन्भुट्टेति पायपीढाओ पच्चोरुहइ | २चा पाडयाओ ओमुयइ रत्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ, अंजलिमउलियग्गहत्थे केसिकुमारसमणाभिमुहे सत्तट्ट पयाई अणुगच्छइ २त्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं वयासी-नमोत्थु ण अ. रहंताणं जाव संपत्ताणं, नमोऽत्थु णं केसियस कुमारसमणस्स मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहगए पासउ मे तिक वदइ नमसइ, ते उज्जाणपालए विउलेणं वत्थगंधमलालंकारेणं सकारेइ सम्माणेइ विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयइ २ ता पडिविसज्जेइ २ कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ ३ एवं वयासी-खिप्पामेव भो ! देवाणुप्पिया चाउग्घंट आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह जाव पच्चप्पिणह । तए णं ते कोटुंबियपुरिसा जाव खिप्पामेव सच्छत्तं सज्झयं जाव उवद्ववित्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति, तए णं से चित्ते | सारही कोडुंबियपुरिसाणं अंतिए एयमढे सारचा निसम्म हट्ट जावहियए हाए कयवलिकम्भे जाव सरीरे जेणेव चाउग्घंटे जाव दुरुहिता सकोरंट० महया भडचडगरेणं तं चेव जाव पज्जुवासइ धम्मकहाए जाव ॥ (सू०५९)॥ तए णं से चित्ते सारही केसिस्स कुमारसमणस्त अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म हतुढे उठाए तहेव एवं वयासी-एवं खलु भंते ! अम्हं पएसी राया अधम्मिए जाव सयस्सविणं जणवयस्स नो सम्मं करभरवित्ति पवत्तेइ, तं जइ णं देवाणुप्पिया! पएसिस्स रणो धम्ममाइक्खेज्जा बहुगुणतरं खलु होज्जा पएसिस्स रणो तेसिं च बट्टणं दुपयचउप्पयमियपसुपक्खीसिरीसवाणं, ॥१२॥ dain Education Intl For Personal & Private Use Only Wrjainelibrary.org
SR No.600237
Book TitleRajprashniyasutram
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1925
Total Pages302
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size6 MB
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