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________________ उवागच्छह २त्ता अहापडिरूवं उन्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति । तए णं सेयवियाए नगरीए सघाडग महया जणसद्देइ वा० परिसा णिग्गच्छइ, तए णं ते उज्जाणपालगा इमीसे कहाए लडट्ठा समाणा हतुट्ठ जावहियया जेणेव केसीकुमारसमणे तेणेव उवागच्छन्ति २त्ता केसि कुमारसमणं वंदंति नमसंति २त्ता अहापडिरूवं उग्गहं अणुजाणंति पाडिहारिएणं जाव संथारएणं उवनिमंतंति णामं गोयं पुच्छंति २त्ता ओधारेंति २त्ता एगतं अवकमंति अन्नमन्नं एवं वयासी-जस्स णं देवाणुप्पिता ! चित्ते सारही दसणं कंखइ दंसणं पत्थेइ दंसणं पीहेइ देसणं अभिलसइ जस्स णं णामगोयस्सवि सवणयाए हतुह जाव हियए भवति से णं एस केसीकुमारसमणे पुवाणुपुदि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव सेयवियाए णगरीए बहिया मियवगे उज्जाणे अहापडिरूवं जाव विहरइ, तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! चित्तस्स सारहिस्स एयमढं पियं निवेएमा पियं से भवउ, अण्णमण्णस्स अंतिए एयमट्ठ पडिमुणेति २ जेणेव सेयविया णगरी जे गेव चित्तस्स सारहिस्त गिहे जेणेव चित्तसारही तेणेव उवागच्छंति २त्ता चित्तं सारहिं करयल जाव वडावेंति २ त्ता एवं वयासी- जस्स णं देवाणुप्पिया ! दसणं कखंति जाव अभिलसंति जस्स णं णामगोयस्सवि सवणयाए हट्ठजाव भवह सेणं अयं केसी कुमारसमणे पुवाणुपुद्धिं चरमाणे समोसढे जाव विहरइ । तए णं से चित्ते सारही तेसि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600237
Book TitleRajprashniyasutram
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1925
Total Pages302
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size6 MB
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