SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 241
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जाव विहरइ, तेण अज्ज सावत्थीए नयरीए बहवे उग्गा जाव इन्भा इन्भपुत्ता अप्पेगतिया वंदणवत्तियाए जाव महया वंदावंदगाह णिग्गच्छइ,तए णं से चित्ते सारही कंचुइपुरिसस्स अंतिए एय. मई सोचा निसम्म हड्तुट्ठ जाव हियए कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावित्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! चाउग्घंटं आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह जाव सच्छत्तं उवट्ठति, तए णं से चित्ते सारही हाए कयवलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते शुद्धप्पावेसाई मंगल्लाइं वत्थाई पवर परिहिते अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरे जेणेव चाउग्धंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता चाउग्घंट आसरहं दुरुहइ २त्ता सकोरिंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं महया भडचडगरेण विंदपरिखित्ते सावत्थीनगरीए मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव कोहए चेइए जेणेव केसीकुमारसमणे तेणेव उवागच्छइ २त्ता केसिकुमारसमणस्स अदूरसामंते तुरए णिगिण्हइ रहं ठवेइ य, ठवित्ता पचोरुहति२ ता जेणेव केसीकुमारसमणे तेणेव उवागच्छइ २त्ता केसिकुमारसमणं तिकखुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ करिता वंदइ नमसइ २त्ता णच्चासण्णे णातिदूरे सुस्मृसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे पंजलिउडे विणएणं पज्जुवासइ । तए णं से केसीकुमारसमणे चित्तस्स सारहिस्स तीसे महतिमहालियाए महच्चपरिसाए चाउज्जामं धम्म परिकहेइ,तं०-सबाओ पाणाइवायाओ वेरमणं सबाओ मुसावायाओ वेरमणं सवाओ अदिण्णादाणाओ वेरमणं सबाओ बहिवादाणाओ वेरमणं। dain Education For Personal & Private Use Only a w.jainelibrary.org
SR No.600237
Book TitleRajprashniyasutram
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1925
Total Pages302
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy