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________________ M USIC पलियमसंखिजइमो उक्कोसो होइ किण्हाए ॥४८॥ जा किण्हाइ ठिई खलु उक्कोसा सा उ समयमन्भहिया। जहन्नेणं नीलाए पलियमसंखं च उक्कोसा ॥४९॥ जा नीलाइ ठिई खलु उक्कोसा सा उ समयमभहिया ।। जहन्नेणं काऊए पलियमसंखं च उक्कोसा ॥५०॥ तेण परं वुच्छामी तेऊलेसा जहा सुरगणाणं । भवणवइ-|| वाणमंतरजोइसवेमाणियाणं च ॥५१॥ पलिओवमं जहन्ना उक्कोसा सागरा उ दुण्हऽहिया । पलियमसं| खिजेणं होई भागेण तेऊए ॥५२॥ दसवाससहस्साइं तेजइ ठिई जहन्निया होइ । दुन्नुदही पलिओवमअसंखभागं च उक्कोसा ॥५३॥ जा तेऊइ ठिई खलु उक्कोसा सा उ समयमन्भहिया। जहन्नेण पम्हाए दस मुहुत्तहियाई उक्कोसा ॥५४॥ जा पम्हाइ ठिई खलु उक्कोसा सा उ समयमभहिया । जहन्नेणं सुक्काए| तित्तीसमुहुत्तमम्भहिया ॥५५॥ दशवर्षसहस्राणि कापोतायाः स्थितिजघन्यका भवति, त्रय उदधयः 'पलियमसंखेजभागं च'त्ति सूत्रत्वात् पल्योपमासङ्खयेयभागं चोत्कृष्टा, पठन्ति च-'उक्कोसा तिन्नुदही पलियमसंखेजभागऽहिय'त्ति स्पष्टम् , इयं च जघन्या रत्नप्रभायां, तस्यां हि जघन्यतोऽपि दशवर्षसहस्राण्यायुरिति, उत्कृष्टा च वालुकाप्रभायां, तत्राप्युपरितनप्रस्तटनारकाणामेव, तेषामेतावत्स्थितिकानामसाविति भावनीयम् । त्रय उदधयः पल्योपमासङ्ख्येयभागश्च मकारस्यालाक्षणिकत्वात् चस्य गम्यमानत्वाजघन्या नीलायाः स्थितिर्दशोदधयः पल्योपमासङ्खयेयभागश्चोत्कृष्टा, इहापि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600236
Book TitleUttaradhyayansutram Part 03
Original Sutra AuthorVadivetal, Shantisuri
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1917
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size8 MB
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