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________________ CHRISHNA २०७२-१२-* रसा पगामं न हु सेवियब्वा, पायं रसा दित्तिकरा नराणं । दित्तं च कामा समभिद्दवंति, दुमं जहा। साउफलं व पक्खी ॥१०॥ जहा वग्गी पउरिंधणे वणे, समारुओ नोवसमं उवेइ । एविंदियग्गीवि पगामभोइणो, न बंभयारिस्स हियाय कस्सई ॥ ११॥ विवित्तसिज्जासणजंतियाणं, ओमासणाणं दमिइंदियाणं । न रागसत्तू धरिसेइ चित्तं, पराइओ वाहिरिवोसहेहिं ॥ १२ ॥ जहा बिरालावसहस्स मूले, न मूसगाणं वसही पसत्था । एमेव इत्थीनिलयस्स मज्झे, न बंभयारिस्स खमो निवासो ॥ १३ ॥ न रूवलावण्णविलासहासं, न जंपियं इंगिय पेहियं वा । इत्थीण चित्तंसि निवेसइत्ता, दडे ववस्से समणे तवस्सी ॥१४॥ अदंसणं चेव अपत्थणं च, अचिंतणं चेव अकित्तणं च । इत्थीजणस्सारियझाणजुग्गं, हियं सया बंभवए रयाणं ॥ १५॥ कामं तु देवीहिं विभूसियाई, न चाइया खोभइडं तिगुत्ता । तहावि एगंतहियंति नच्चा, विवित्तवासो मुणिणं पसत्थो॥१६॥ मुक्खाभिकंखिस्सवि माणवस्स, संसारभीरुस्स ठियस्स धम्मे । नेयारिसं दुत्तरमस्थि लोए, जहथिओबालमणोहराओ॥१७॥ एए य संगा समइक्कमित्ता, सुहुत्तरा चेव हवंति सेसा।जहा| महासागरमुत्तरित्ता, नई भवे अवि गंगासमाणा ॥१८॥ कामाणुगिद्धिप्पभवं खु दुक्खं, सब्वस्स लोगस्स सदेवगस्स-जं काइयं माणसियं च किंचि, तस्संतयं गच्छद वीयरागो॥१९॥ जहा य किंपागफला मणोरमा, रसेण बन्नेण य भुजमाणा। ते खुदए जीविय पञ्चमाणा, एओवमा कामगुणा विवागे ॥२०॥ **%%% Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600236
Book TitleUttaradhyayansutram Part 03
Original Sutra AuthorVadivetal, Shantisuri
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1917
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size8 MB
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