SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 578
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः २ ॥ ९४६ ॥ यावादी किं भव० पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया, एवं एएणं अभिलावेणं कण्हपक्खिया तिस्रुवि समोसरणेसु भयणाए, सुक्कपक्खिया चउसुवि समोसरणेसु भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया, सम्म दिट्ठी जहा अलेस्सा, मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया, सम्मामिच्छादिट्ठी दोस्रुवि समोसरणेसु जहा अलेस्सा, नाणी जाव केवलनाणी भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया, सन्नासु चउसुवि जहा सलेस्सा, नोसन्नोवउत्ता जहा सम्मदिट्ठी, सवेद्गा जाव नपुंसगवेदगा जहा |सलेस्सा, अवेदगा जहा सम्मदिट्ठी, सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा, अकसायी जहा सम्म - दिट्ठी, सयोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा, अयोगी जहा सम्मदिट्ठी, सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता जहा सलेस्सा, एवं नेरइयावि भाणियवा नवरं नायवं जं अस्थि, एवं असुरकुमारावि जाव धणियकुमारा, पुढविक्काइया सङ्घट्टाणेसुवि मझिल्लेसु दोसुवि समवसरणेसु भवसिद्धीयावि अभवसिद्धीयावि एवं जाव | वणस्सइकाइया, बेइंदियतेइंदियचउरिंदिया एवं चैव नवरं संमत्ते ओहिनाणे आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे | एएस चेव दोसु मज्झिमेसु समोसरणेसु भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया, सेसं तं चैव, पंचिंदियतिरिक्ख| जोणिया जहा नेरइया नवरं नायवं जं अस्थि, मणुस्सा जहा ओहिया जीवा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा । सेवं भंते ! २ ॥ ( सूत्रं ८२५ ) ॥ ३०।१ ॥ 'किरियाबाई ण'मित्यादौ यन्नैरयिकायुर्देवायुश्च न प्रकुर्वन्ति क्रियावादिनारकास्तन्नारकभवानुभावादेव, यच्च तिर्यगा Jain Education International For Personal & Private Use Only ३० शतके उद्देशः १ क्रियावाद्या युर्बन्धादि सू ८२५ ॥ ९४६ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.600226
Book TitleBhagwati sutram Part 03
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1921
Total Pages654
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy